दो साल की उम्र में अनाथ हुए बच्चे को 20 साल बाद मिलेगी अनुकम्पा नियुक्ति :
यूपी सरकार के फैसले को हाई कोर्ट ने बदलते हुए दिलाया न्याय
2 months ago
Written By: News Desk
एक मासूम, जिसने दो साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया और 20 साल तक न्याय की तलाश में भटकता रहा, आखिरकार उसे हाई कोर्ट से न्याय मिल गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को खारिज करते हुए उसे अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश जारी किया है।
क्या है पूरा मामला?
लखनऊ निवासी पवन कुमार यादव के पिता, शिव सरन, उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे। 24 अप्रैल 2005 को उनकी मृत्यु हो गई। उस समय पवन की उम्र महज एक साल थी। उसके परिवार में केवल उसकी मां थीं, जो किसी प्रकार की सरकारी नौकरी के योग्य नहीं थीं। जैसे ही पवन 18 साल का हुआ, उसने 29 जुलाई 2022 को लखनऊ पुलिस कमिश्नर कार्यालय में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने 30 नवंबर 2023 को यह कहते हुए आवेदन निरस्त कर दिया कि आवेदन 12 साल की देरी से आया है।
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
याची के अधिवक्ता दीपक सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि पवन के मामले में देरी स्वाभाविक थी क्योंकि वह नाबालिग था। जब उसने वयस्क होकर आवेदन किया तो उसे तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया। जस्टिस आलोक माथुर की पीठ ने सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि इतनी देरी के बाद अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने Uttar Pradesh Government Servants Dying in Harness Rules, 1974 का हवाला देते हुए कहा कि सरकार को इस तरह के मामलों में विवेकाधिकार का प्रयोग करना चाहिए। अदालत ने 'स्टेट ऑफ यूपी बनाम वीरेंद्र पाल सिंह' केस का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई बच्चा अपने माता-पिता में से एक को खोने के समय नाबालिग था, तो वह वयस्क होते ही आवेदन कर सकता है। यह एक वैध आधार है, और इस पर विचार किया जाना चाहिए।
अदालत ने दिलाया पवन कुमार को न्याय
कोर्ट ने पवन कुमार को न्याय दिलाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि पवन कुमार यादव को दो महीने के भीतर ही अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। कोर्ट ने कहा कि सरकार का फैसला कानून की मूल भावना के खिलाफ था, और इसलिए इसे रद्द किया जाता है।
क्या है अनुकंपा नियुक्ति?
अनुकंपा नियुक्ति सरकार द्वारा उन परिवारों को दी जाती है जिनके कमाने वाला सदस्य का सरकारी सेवा में रहते हुए असमय निधन हो जाता है। इसका उद्देश्य परिवार को आर्थिक संकट से उबारना होता है।