नगर निगम में टाइपिंग टेस्ट की बात सुनकर बेहोश हुआ लिपिक…
फैसले से निगम में मचा हडकंप
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
सहारनपुर नगर निगम में हाल ही में कंप्यूटर पर टाइपिंग टेस्ट कराने की घोषणा ने कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है। यहां स्थिति यह हो गई कि एक लिपिक तो टेस्ट की बात सुनते ही अचानक कुर्सी से गिरकर बेहोश हो गया। इस घटना ने निगम कार्यालय में हलचल मचा दी और अधिकारियों के लिए भी चिंता का सबब बन गई।
लिपिकों की कंप्यूटर दक्षता पर उठे सवाल नगर निगम में करीब 30 लिपिक तैनात हैं, लेकिन इनमें से कई ऐसे हैं, जिन्हें कंप्यूटर की बुनियादी समझ भी नहीं है और ना ही टाइपिंग का अभ्यास है। पिछले दस सालों से निगम ने कामकाज सुचारू रखने के लिए निजी ऑपरेटरों को तैनात किया था। इन ऑपरेटरों की मदद से दफ्तर का काम चलता रहा, लेकिन लिपिकों ने खुद कंप्यूटर सीखने की जरूरत नहीं समझी।
नगर आयुक्त ने लिया सख्त कदम वहीं नगर आयुक्त शिपू गिरि ने जानकारी मिलने के बाद कि कुछ लिपिक कंप्यूटर फ्रेंडली नहीं हैं और काम प्रभावित हो रहा है, सभी लिपिकों का टाइपिंग टेस्ट कराने का निर्णय लिया। इसके लिए अधिकारियों की एक समिति बनाई गई, जो निर्धारित समय में शब्दों की टाइपिंग कराकर परीक्षा ले रही है।
कुर्सी से गिरकर बेहोश हुआ लिपिक वहीं ये घटना तब चर्चा का विषय बन गई जब एक अनुभागाध्यक्ष ने अपने लिपिक को टाइपिंग टेस्ट की तैयारी करने के लिए कहा। जैसे ही लिपिक ने यह सुना, वह तनाव में कुर्सी से गिरकर बेहोश हो गया। वहीं तीन दिन से यह किस्सा नगर निगम में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
ऑपरेटरों पर बढ़ा खर्च दरअसल नगर निगम में वर्तमान में करीब 15 प्राइवेट ऑपरेटर तैनात हैं। ये लिपिकों और अधिकारियों की मदद के लिए काम करते हैं। प्रत्येक ऑपरेटर को 12 से 15 हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाता है। इस तरह नगर निगम पर हर महीने दो लाख रुपये से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। अधिकारियों का मानना है कि अगर ऑपरेटर हटा दिए जाएं तो कई अहम काम ठप हो जाएंगे।
तकनीकी दक्षता की कमी उजागर स्थानीय लोगों और कर्मचारियों में चर्चा है कि टाइपिंग टेस्ट को लेकर उठी हलचल ने नगर निगम में तकनीकी दक्षता की कमी को उजागर कर दिया है। अब यह देखना बाकी है कि लिपिक इस चुनौती को स्वीकार कर कंप्यूटर की ओर कदम बढ़ाते हैं या फिर नगर निगम को ऑपरेटरों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा।