सात साल के बच्चे की गड़े खजाने के लिए दे डाली बलि…घटना में नाबालिग भी शामिल,
अदालत ने सुनाया बड़ा फैसला
2 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश में एक दिल दहला देने वाली घटना पर विशेष POCSO अदालत ने अहम फैसला सुनाया है। सात साल पहले गड़े हुए खजाने की तलाश में सात वर्षीय मासूम की बलि देने के मामले में अदालत ने दो दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि एक अन्य आरोपी को 20 साल की कैद हुई है। अदालत ने इसे "जघन्य अपराध" करार देते हुए कहा कि इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस वारदात को किसी भी सूरत में माफ नहीं किया जा सकता।
अदालत ने सुनाया सख्त फैसला
विशेष POCSO कोर्ट के एडीजे अनिल कुमार ने इस मामले में दोषियों को सख्त सजा सुनाई। साथ ही ताराचंद और ज्ञान सिंह को आजीवन कारावास, तीसरे आरोपी, जो अपराध के समय नाबालिग था, को 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई, वहीं अदालत ने टिप्पणी की कि मासूम की नृशंस हत्या समाज के लिए खतरे की घंटी है और ऐसे मामलों में कठोरतम दंड आवश्यक है।
खाना खिलाने के बहाने मासूम को ले गए खेत
यह हृदय विदारक घटना 24 फरवरी 2018 की है। चौगानपुर गांव का सात साल का कन्हैया अचानक घर से लापता हो गया था। बाद में जांच में सामने आया कि एक नाबालिग अपराधी बच्चे को खाना दिलाने के बहाने घर से ले गया। SPO ललित सिंह पुंडीर ने बताया कि तीनों अपराधियों का मानना था कि बच्चे की बलि देने से उन्हें गड़ा हुआ खजाना मिल जाएगा। इसी अंधविश्वास के चलते उन्होंने मासूम की बेरहमी से हत्या कर दी और फिर शव को खेतों में दफना दिया।
पुलिस ने खोला खौफनाक राज
वहीं घटना के बाद बच्चे की तलाश में पुलिस लगातार जुटी रही। 14 मार्च 2018 को पुलिस ने इस रहस्य से पर्दा उठाया। बच्चे के अवशेष बरामद हुए। जिसके बाद पुलिस ने नाबालिग आरोपी को हिरासत में लिया। वहीं पूछताछ में उसने अपने दो अन्य साथियों के नाम भी उजागर किए। जिसके बाद नाबालिग को तुरंत बाल सुधार गृह भेजा गया, जबकि बाकी दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया था।
जघन्य अपराध पर अदालत की टिप्पणी
वहीं मामले पर फैसला सुनाते हुए विशेष POCSO अदालत ने कहा कि यह अपराध न सिर्फ एक मासूम की हत्या है, बल्कि समाज में अंधविश्वास और क्रूरता की भयावह तस्वीर भी दिखाता है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि ऐसे मामलों में सख्त सजा ही समाज को जागरूक करने का सबसे प्रभावी तरीका है।