बाराबंकी से लखनऊ तक एबीवीपी का आंदोलन, जानें क्यों योगी सरकार के खिलाफ भड़के छात्र,
शुरू से अबतक के विवाद की पूरी कहानी
4 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों छात्र आंदोलन ने नया मोड़ ले लिया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), जो भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा प्रमुख छात्र संगठन माना जाता है, अपनी ही सरकार के खिलाफ खुलकर विरोध में उतर आया है। बाराबंकी की श्रीराम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ यह विवाद अब राजधानी लखनऊ तक पहुंच चुका है। मामला एलएलबी कोर्स की मान्यता, छात्रों के निलंबन, पुलिस लाठीचार्ज और योगी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर के विवादित बयान से जुड़ा है। छात्रों का कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा और दोषियों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
एलएलबी कोर्स की मान्यता से शुरू हुआ विवाद
इस पूरे विवाद की शुरुआत बाराबंकी स्थित श्रीराम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी से हुई, जहां सोमवार, 1 सितंबर को एलएलबी कोर्स की मान्यता और एबीवीपी कार्यकर्ताओं के निलंबन को लेकर छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी वर्ष 2022 से बिना बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) की मान्यता के लॉ कोर्स चला रही है, जिससे उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इसी मुद्दे पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं और एलएलबी छात्रों ने एकजुट होकर आवाज बुलंद की। यूनिवर्सिटी प्रशासन पर यह भी आरोप है कि उनकी मांगों को अनसुना करने के बजाय, अनुशासनहीनता के नाम पर एबीवीपी से जुड़े दो छात्रों को निलंबित कर दिया गया। इससे छात्रों में गुस्सा और भड़क गया और उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
पुलिस लाठीचार्ज और बढ़ता तनाव
आपको बताते काहेलं कि यहां सोमवार सुबह भारी बारिश के बावजूद छात्र शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। उनका उद्देश्य कुलपति से मुलाकात कर अनियमितताओं पर चर्चा करना था। लेकिन भीड़ बढ़ने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस बुला ली। स्थिति उस समय बेकाबू हो गई जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज में एबीवीपी के कम से कम 25 छात्र घायल हो गए, जबकि सीओ सिटी हर्षित चौहान समेत पांच पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं। छात्रों का आरोप है कि न केवल पुलिस ने बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की, बल्कि यूनिवर्सिटी प्रशासन के इशारे पर बाहरी गुंडों को बुलाकर छात्रों पर हमला भी कराया गया। हालात तब और बिगड़ गए जब गुस्साए छात्रों और अभिभावकों ने जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) शशांक त्रिपाठी और एसपी अर्पित विजयवर्गीय को अस्पताल में घायलों से मिलने से रोक दिया। छात्रों का कहना था कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, किसी अधिकारी को घायलों से मिलने नहीं दिया जाएगा। इस बीच भीड़ ने जमकर नारेबाजी की और प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया।
ओपी राजभर के बयान से भड़के छात्र
मामला तब और गर्मा गया जब योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों और एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर विवादित बयान दिया। राजभर ने कहा कि देश संविधान और कानून से चलता है। यदि छात्रों की समस्या है तो वे शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री से मिल सकते हैं, लेकिन कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि यदि एबीवीपी के गुंडेगर्दी करेंगे, तो पुलिस का लाठीचार्ज बिल्कुल सही है। इस बयान के बाद एबीवीपी कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा। मंगलवार देर रात लखनऊ में ओपी राजभर के आवास के बाहर छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया। आवास के गेट पर चढ़कर नारेबाजी की गई, राजभर का पुतला फूंका गया और सरकार तथा पुलिस प्रशासन के खिलाफ विरोध जताया गया।
लखनऊ में देर रात तक हंगामा और गिरफ्तारियां
राजभर के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया। लेकिन गुस्साए छात्र पीछे हटने को तैयार नहीं थे। पुलिस और एबीवीपी कार्यकर्ताओं के बीच तीखी झड़पें हुईं, जिसके बाद पुलिस ने कई छात्रों को हिरासत में ले लिया और उन्हें ईको गार्डन भेज दिया गया। इस घटनाक्रम के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई। एबीवीपी जैसे संगठन का अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरना भाजपा के लिए भी चिंता का विषय बन गया।
सीएम योगी की त्वरित कार्रवाई
बढ़ते विवाद और छात्रों के आक्रोश को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत एक्शन लिया। मंगलवार शाम को सीएम ने छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की जांच के आदेश दिए और बाराबंकी के सीओ सिटी हर्षित चौहान को उनके पद से हटा दिया। इसके अलावा कोतवाली थाना प्रभारी आरके राणा, एसआई गजेंद्र सिंह और कांस्टेबल विनोद कुमार को भी लाइन हाजिर कर दिया गया। सरकार ने अयोध्या रेंज के आईजी प्रवीण कुमार और बाराबंकी मंडलायुक्त राजेश कुमार को मामले की विस्तृत जांच का जिम्मा सौंपा है।
छात्रों की मांग और आंदोलन की चेतावनी
एबीवीपी के अवध प्रांत सचिव पुष्पेंद्र बाजपेई ने स्पष्ट किया कि जब तक यूनिवर्सिटी प्रशासन और दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा। छात्रों ने कुलपति को बर्खास्त करने, निलंबित छात्रों की बहाली और लॉ डिग्री की मान्यता पर स्पष्ट स्थिति की मांग की है। एबीवीपी और अन्य छात्र संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र सुनवाई नहीं हुई, तो आंदोलन प्रदेश भर में तेज किया जाएगा।
यूनिवर्सिटी प्रशासन का पक्ष
इस पूरे विवाद पर यूनिवर्सिटी के कुलपति विकास मिश्रा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि घटनाक्रम में यूनिवर्सिटी के छात्र शामिल नहीं थे, बल्कि बाहरी लोगों की वजह से मामला बिगड़ा। उन्होंने कहा कि अनुशासनहीनता के चलते एबीवीपी से जुड़े दो छात्रों को निलंबित किया गया था, जिसके बाद बाहरी लोग प्रदर्शन में शामिल हो गए।
लॉ कोर्स की मान्यता पर कुलपति ने कहा कि यूनिवर्सिटी के पास 2023 तक बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता थी और 2027 तक नवीनीकरण के लिए आवेदन व शुल्क जमा कर दिया गया है। मिश्रा ने यह भी बताया कि प्रदर्शन के दौरान एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने मुख्य गेट बंद कर दिया था, जब अंदर लगभग 8,000 छात्र मौजूद थे। इससे अफरा-तफरी मच गई और आसपास के गांवों से अभिभावक अपने बच्चों को निकालने के लिए कैंपस पहुंचे। इसी बीच स्थानीय लोगों और प्रदर्शनकारियों के बीच झगड़ा हुआ, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।