आलोक दुबे ने कानूनगो रहते बनाई करोड़ो की संपत्ति, डिमोशन के बाद अब हुए लेखपाल,
कानपुर में बड़ा खुलासा
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां कानूनगो आलोक दुबे पर गंभीर आरोप साबित होने के बाद जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने उन्हें उनके पद से हटा दिया और लेखपाल बना दिया है। जांच में खुलासा हुआ है कि कानूनगो रहते हुए आलोक दुबे करोड़ों की संपत्ति के मालिक बन गए और उनके पास 41 संपत्तियों की जानकारी सामने आई है।
शिकायत से खुली गड़बड़ी की पोल दरअसल पूरा मामला तब सामने आया जब ग्राम कला का पुरवा रामपुर भीमसेन निवासी संदीप सिंह ने 2 दिसंबर 2023 को जिलाधिकारी को एक शिकायत दी। उन्होंने आरोप लगाया कि सिंहपुर गांव की गाटा संख्या 207 और रामपुर भीमसेन की गाटा संख्या 895 की जमीन न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद, आलोक दुबे ने 11 मार्च 2024 को विरासत दर्ज कर उसी दिन बैनामा कर दिया।
जमीन बेचने का खेल बना फंसने की वजह वहीं, जांच में यह भी सामने आया कि गाटा संख्या 207 को 19 अक्टूबर 2024 को एक निजी कंपनी के नाम बेच दिया गया, जो अवैध पाया गया। समिति ने इस पूरे मामले को पद का दुरुपयोग, मिलीभगत और हित संघर्ष की श्रेणी में माना। इसी के बाद 17 फरवरी 2025 को आलोक दुबे को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू की गई।
चार गंभीर आरोप और लंबी सुनवाई बता दें कि आलोक दुबे पर 6 मार्च को चार गंभीर आरोपों का आरोपपत्र जारी किया गया। इसके बाद 21 अगस्त तक व्यक्तिगत सुनवाई की प्रक्रिया चली, जिसमें आलोक दुबे को अपना पक्ष रखने और साक्ष्य प्रस्तुत करने का मौका दिया गया। जांच कमेटी, जिसमें अपर जिलाधिकारी फाइनेंस और एसीपी कोतवाली शामिल थे, ने उन्हें दोषी पाया।
41 संपत्तियों का खुलासा और डिमोशन का आदेश जिसके बाद इसकी जांच रिपोर्ट में आलोक दुबे की 41 संपत्तियों का खुलासा हुआ। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने साफ कहा कि इस तरह की जमीन में हेरफेर से जनता का विश्वास टूटता है और यह एक गंभीर अपराध है। इसके आधार पर आलोक दुबे को कानूनगो से डिमोट कर लेखपाल बना दिया गया है।
अन्य कर्मचारियों पर भी कार्रवाई वहीं इस मामले में क्षेत्रीय लेखपाल अरुणा द्विवेदी की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई, जिसके चलते उन पर भी कार्रवाई की गई है। जिलाधिकारी ने संकेत दिए हैं कि ऐसे मामलों में प्रशासन कठोर रुख अपनाएगा ताकि जमीन से जुड़े भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।