बलरामपुर के CMO कार्यलय के लिपिक ने सरकार को लगाया करोड़ों का चूना..!
नहीं दे पाए करोड़ो की आय का हिसाब, सतर्कता विभाग ने दर्ज की FIR
1 months ago Written By: विनय सिंह
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। सतर्कता अधिष्ठान की जांच में बलरामपुर के तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में तैनात रहे लिपिक अजय कुमार श्रीवास्तव पर भारी-भरकम भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का गंभीर आरोप साबित हुआ है। जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि श्रीवास्तव ने सरकारी सेवा के दौरान अपनी वैध आय से कहीं अधिक सम्पत्तियां अर्जित कीं और करोड़ों रुपये का हिसाब नहीं दे पाए। अब शासन के आदेश पर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोग पंजीकृत कर विवेचना शुरू कर दी गई है। इस खुलासे के बाद विभागीय हलकों में हड़कंप मचा हुआ है।
आय से अधिक कमाई और व्यय दरअसल इस FIR के मुताबिक, अजय कुमार श्रीवास्तव तत्कालीन लिपिक मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय जनपद बलरामपुर व वर्तमान लिपिक मुख्य चिकित्साधिकारी जनपद बाराबंकी के विरुद्ध परिसम्पत्ति विषयक खुली जांच के आदेश उप सतर्कता अधिष्ठान को दिये गये थे। जिसकी जांच की गयी एवं जांच में पाया गया कि अजय कुमार श्रीवास्तव लोकसेवक के रूप में कार्यरत रहते हुए ज्ञात आय के स्रोत हेतु निर्गत की गयी आय अथवा ज्ञात आय की सम्पत्ति तथा अन्य स्रोतों से आय रुपये 4644995/- से अधिक अर्जित की गयी तथा सम्पत्ति में कुल रुपये 40116644/- विभिन्न चल-अचल सम्पत्तियों के रूप एवं पारिवारिक भरण पोषण पर व्यय किया गया। इस प्रकार अजय कुमार श्रीवास्तव उपरोक्त द्वारा केवल ज्ञात आय एवं वेतन स्रोतों से अर्जित आय के सापेक्ष रुपये 35471649/- अधिक व्यय किया गया है, जो उनकी ज्ञात एवं वेतन स्रोतों से अर्जित आय से अनुपातहीन है।
नहीं दे पाए आय और व्यय का हिसाब FIR में बताया गया है कि, इस अनुपातहीन व्यय तथा परिसम्पत्तियों के अर्जन के सम्बन्ध में आरोपी अजय कुमार श्रीवास्तव द्वारा कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस प्रकार समग्र जांच से आरोपी का यह कृत्य भृष्टाचार निवारण अधिनियम वर्ष 1988 (यथासंशोधित वर्ष-2018) की धारा 13(1) (बी) सहपठित धारा 13(2) के अन्तर्गत दण्डनीय संज्ञेय अपराध है। उप शासन के निर्देशानुसार इस अभियोग का विवेचन उप सतर्कता अधिष्ठान द्वारा की जायेगी।
मुकदमा दर्ज
जिसके बाद अनुभाग-2 के आदेशांक द्वारा आरोपी लिपिक के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कराकर अनुसंधान करने के आदेश पारित किये गये। जिसके बाद उप सतर्कता अधिष्ठान अयोध्या थाने में आरोपी के वीरुध सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है तथा मामले में आगे की कार्रवाई शुरू हो गई है।