वाराणसी में छतों पर शवदाह..!
नदियों में आई बाढ़ ने मचाई तबाही
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश के वाराणसी समेत पूरे उत्तर भारत में लगातार हो रही मॉनसूनी बारिश से गंगा और अन्य नदियां उफान पर हैं। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों पर बाढ़ का पानी भर गया है, जिससे तमाम व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हो चुकी हैं। दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर पानी भर जाने के कारण आरती और शवदाह जैसे पारंपरिक आयोजन अब छतों पर हो रहे हैं।
फिर खतरे के निशान से ऊपर गंगा
समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में थोड़ा घटने के बाद गंगा का जलस्तर एक बार फिर तेजी से बढ़ा है। गुरुवार सुबह गंगा का स्तर खतरे के निशान 70.26 मीटर को पार कर 70.91 मीटर तक पहुंच गया। जलस्तर में इस बढ़ोतरी ने वाराणसी प्रशासन की चिंताएं बढ़ा दी हैं और घाटों पर स्थिति भयावह होती जा रही है।
छतों पर हो रही गंगा आरती और शवदाह
गंगा सेवा निधि के व्यवस्थापकों ने बताया कि दशाश्वमेध घाट के निचले हिस्से में पानी भर जाने के कारण पारंपरिक गंगा आरती अब छतों पर आयोजित की जा रही है। वहीं, बाढ़ की स्थिति ने अंतिम संस्कार की परंपरा पर भी असर डाला है। हरिश्चंद्र घाट और मणिकर्णिका घाट के निचले हिस्से डूबने से शवदाह की प्रक्रिया भी छतों पर की जा रही है।
शीतला माता मंदिर जलमग्न
दशाश्वमेध घाट पर स्थित शीतला माता मंदिर भी पूरी तरह जलमग्न हो गया है। प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं को सतर्क रहने और घाटों पर न जाने की अपील की जा रही है।
प्रशासन सतर्क, राहत शिविर सक्रिय
जिला प्रशासन ने संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए सभी संबंधित विभागों को सतर्क रहने के निर्देश जारी किए हैं। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने नगर निगम अधिकारियों को राहत शिविरों की साफ-सफाई, जलजमाव वाले क्षेत्रों में एंटी-लार्वा छिड़काव और फॉगिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है। इसके साथ ही बाढ़ राहत शिविरों को दोबारा सक्रिय किया जा रहा है।
वरुणा नदी भी उफान पर, तटवर्ती इलाकों में संकट
गंगा के साथ-साथ वरुणा नदी भी उफान पर है, जिससे वाराणसी के तटवर्ती इलाकों की स्थिति और बिगड़ रही है। शक्कर तालाब, पुराना पुल, नक्खी घाट, पुलकोहना और दीनदयालपुर जैसे इलाकों में पानी घुस चुका है। बाढ़ के खतरे को देखते हुए 100 से अधिक लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है।