यूपी के SC बनकर पुलिस भर्ती में शामिल हुए थे MP के चार OBC युवक,
जानें कैसे खुला फर्जीवाड़े का राज
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में चल रही पुलिस भर्ती प्रक्रिया के दौरान एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। पुलिस और प्रशासन की सतर्कता से यह खेल बेनकाब हो गया, जिसमें मध्य प्रदेश के चार युवकों को फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी पाने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया। इस मामले में चारों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
दस्तावेजों के सत्यापन में खुला राज
पुलिस भर्ती प्रक्रिया के दौरान जब दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा था, उसी समय चार अभ्यर्थियों की असलियत सामने आ गई। जांच में पता चला कि चारों युवक मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के चितरंगी तहसील के निवासी हैं। भर्ती में शामिल होने के लिए चारों आरोपियों ने खुद को उत्तर प्रदेश का मूल निवासी बताते हुए अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था, ताकि आरक्षण का लाभ मिल सके। हालांकि, सत्यापन के दौरान खुलासा हुआ कि वे वास्तव में बैसवार/वैश्य जाति से संबंध रखते हैं, जिन्हें मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग में गिना जाता है।
उमेश कुमार के मामले में सबसे बड़ा खुलासा
सबसे अहम खुलासा उमेश कुमार नामक अभ्यर्थी के मामले में हुआ। उसने आवेदन पत्र में अपना पता सोनभद्र के घोरावल का बताया और वहीं से जाति प्रमाणपत्र भी बनवा लिया। जबकि हकीकत में उसका वास्तविक पता मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के मझिगवा गांव का है। इसी तरह अन्य तीन आरोपी- राकेश सिंह, दीपक कुमार और विजय कुमार भी सिंगरौली जिले के ही निवासी पाए गए। दस्तावेजों की गहन जांच के बाद चारों की पूरी सच्चाई सामने आ गई।
पुलिस की सख्त कार्रवाई
वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए हर स्तर पर कड़ी जांच की जा रही है, ताकि किसी भी तरह की धांधली न हो सके। इस खुलासे के बाद से भर्ती में शामिल अन्य अभ्यर्थियों में भी खलबली मच गई है। अब हर उम्मीदवार के दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जा रही है, ताकि कोई भी फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी नौकरी हासिल न कर सके।
पुलिस का बयान और चेतावनी
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब तक की जांच से साफ हो गया है कि कुछ लोग गलत तरीके से नौकरी पाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, पुलिस और प्रशासन पूरी सतर्कता बरत रहा है और ऐसे लोगों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। यह मामला न केवल भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता का उदाहरण है, बल्कि उन युवाओं के लिए भी एक कड़ी चेतावनी है जो गलत रास्ता अपनाकर सरकारी नौकरी पाने का प्रयास कर रहे हैं।