मथुरा में VIP को कुर्सी पर बैठकर कराया जा रहा ठाकुर जी का दर्शन,
कोर्ट ने जारी किया नोटिस
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश के मथुरा के वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर एक बार फिर विवादों में घिर गया है। सावन मास के दौरान मंदिर के जगमोहन क्षेत्र में ठाकुर जी का सिंहासन विराजमान होता है, लेकिन इस दौरान कुछ वीआईपी लोगों द्वारा कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन करने का मामला सामने आया है। आरोप है कि इन वीआईपी लोगों ने न केवल कुर्सी पर बैठकर दर्शन किए, बल्कि उनके साथ मौजूद सुरक्षाकर्मी हथियारों से लैस होकर खड़े रहे। इतना ही नहीं, पूरी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई, जिससे मंदिर की मर्यादा, आस्था और अदालत के आदेश का उल्लंघन हुआ है।
अखिल भारत हिंदू महासभा ने दायर की याचिका
इस घटना को लेकर अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष पंडित संजय हरियाणा और वकील दीपक शर्मा ने मथुरा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की अदालत में एक संयुक्त याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सावन मास में ठाकुर जी का सिंहासन जगमोहन क्षेत्र में विराजमान होता है, लेकिन कुछ वीआईपी लोगों ने इस पवित्र स्थान पर कुर्सी लगाकर दर्शन किए। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सुरक्षाकर्मी हथियारों से लैस थे और वहां वीडियो रिकॉर्डिंग की गई, जबकि कोर्ट पहले ही मंदिर परिसर में वीडियो और फोटोग्राफी पर रोक लगा चुका है। यह न सिर्फ आस्था का अपमान है, बल्कि अदालत के आदेश की खुली अवमानना भी है।
“भक्त बन रहे हैं भगवान”
पंडित संजय हरियाणा ने कहा, “ठाकुर जी से बड़ा कोई नहीं हो सकता, लेकिन कुछ वीआईपी लोगों ने खुद को भगवान से ऊपर साबित करने की कोशिश की। भक्त बन रहे हैं भगवान। यह मंदिर की मर्यादा और आस्था के खिलाफ है। इसलिए इस मामले में कानूनी कार्रवाई जरूरी है।”
अदालत ने जारी किया नोटिस
अदालत ने 29 अगस्त को सुनवाई करते हुए मंदिर प्रबंधन, मथुरा के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और अन्य संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। अदालत ने मंदिर की गरिमा और कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करने के लिए सभी पक्षों से जवाब मांगा है।
“अदालत के आदेश की खुली अवमानना”
वकील दीपक शर्मा ने कहा, “सिंहासन पर कुर्सी लगाना, हथियारों का प्रदर्शन करना और वीडियो रिकॉर्डिंग करना न सिर्फ आस्था का अपमान है, बल्कि अदालत के आदेश की खुली अवमानना है। यह मामला कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की श्रेणी में आता है। इसमें सख्त कार्रवाई जरूरी है ताकि आगे इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं।”