यूपी में पिता की मौत के सहारे दो सगे भाइयों ने पा ली पुलिस विभाग में नौकरी,
रिटायमेंट के समय खुला राज
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश के आगरा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक ही परिवार के दो भाइयों ने अपने पिता की मृत्यु के बाद मृतक आश्रित कोटे से पुलिस विभाग में नौकरी हासिल कर ली। जबकि नियम स्पष्ट है कि मृतक आश्रित कोटे में परिवार का केवल एक सदस्य ही नियुक्ति पा सकता है और इसके लिए अन्य सभी परिजनों से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) लेना अनिवार्य है।
कैसे हुआ खुलासा ? पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने बताया कि नागमेंद्र लांबा के रिटायर होने से ठीक पहले शिकायत मिली थी। शिकायत में कहा गया कि नागमेंद्र और योगेंद्र लांबा सगे भाई हैं और दोनों को मृतक आश्रित कोटे से पुलिस में नौकरी मिली है। जांच में पाया गया कि बड़े भाई नागमेंद्र को पिता की मृत्यु के बाद इस कोटे से नौकरी मिली थी। लेकिन छह साल बाद छोटे भाई योगेंद्र ने भी इसी कोटे का लाभ लेकर पुलिस में भर्ती ले ली।
जांच में सामने आया फर्जीवाड़ा डीसीपी ट्रैफिक अभिषेक अग्रवाल ने इस मामले की जांच की। जांच में साफ हुआ कि योगेंद्र लांबा ने धोखाधड़ी कर भर्ती पाई। नियमों के अनुसार, मृतक आश्रित भर्ती प्रक्रिया में परिवार के सभी सदस्य अधिकारियों के सामने पेश होते हैं और लिखित सहमति (एनओसी) देते हैं। लेकिन योगेंद्र ने इस प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा कर दस्तावेज पेश किए। नागमेंद्र ने बयान दिया कि वह अपने भाई से अलग रहते थे और उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि योगेंद्र ने नौकरी कैसे पाई।
कार्रवाई की तैयारी पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने बताया कि विभागीय जांच पूरी होते ही योगेंद्र लांबा पर मुकदमा दर्ज कर बर्खास्तगी की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। साथ ही, अब तक लिए गए वेतन और सुविधाओं की रिकवरी की जाएगी। बड़े भाई नागमेंद्र, जो एसीपी पद से हाल ही में रिटायर हुए हैं, उनकी पेंशन और सेवानिवृत्ति भुगतान रोक दिए गए हैं। वहीं इस पूरे मामले में भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अन्य अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।