यूपी में सिगरेट पीने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी, पान-गुटका से 10 गुना बढ़ी मांग,
टैक्स ग्रोथ में रिकॉर्ड उछाल
14 days ago
Written By: State Desk
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इन दिनों सिगरेट पीने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। वहीं एनर्जी ड्रिक और कोल्ड्रिंक्स की बिक्री में भी काफी इजाफा हुआ है। यहां पान मसाला, गुटखा और अन्य तंबाकू उत्पादों की तुलना में सिगरेट उपभोगकर्ताओं की रफ्तार करीब दस गुना ज्यादा दर्ज की गई है। इसका सीधा असर सरकार को मिलने वाले टैक्स पर भी पड़ा है, जहां सिगरेट से मिलने वाले जीएसटी में बड़ी वृद्धि हुई है, वहीं गुटखा और तंबाकू से मिलने वाले टैक्स में गिरावट आई है। वहीं नुकसान की अगर बात करे तो ये उत्पाद हमारी सेहत के साथ हि साथ हमारे पर्यावरण को भी बड़े स्तर पर दुसित कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में तम्बाकू उत्पादों से लगभग 2 लाख टन कचरा उत्त्पन्न हो रहा है जिसमे यूपी की एक बड़ी भागीदारी है।
सिगरेट में टैक्स ग्रोथ…
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में सिगरेट से मिलने वाले जीएसटी राजस्व में 7.11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 2021-22 में जहां सिगरेट से 406 करोड़ रुपये टैक्स मिला था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 436 करोड़ रुपये हो गया। दूसरी ओर, तंबाकू उत्पादों से मिलने वाला टैक्स इसी अवधि में 612 करोड़ रुपये से घटकर 601 करोड़ रुपये रह गया।
तंबाकू उत्पादों की घटी मांग..
सिगरेट की मांग में आई तेजी के उलट गुटखा, पान मसाला और अन्य तंबाकू उत्पादों की खपत में गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार, इन उत्पादों की टैक्स वृद्धि दर -1.75 प्रतिशत रही, जो दर्शाता है कि इनकी बाजार हिस्सेदारी में गिरावट आई है।
एनर्जी ड्रिंक और कोल्ड ड्रिंक की बढ़ी लोकप्रियता…
खास तौर पर एनर्जी ड्रिंक की मांग में भी हाल के वर्षों में तेजी देखी गई है। युवाओं और कामकाजी लोगों के बीच इसकी खपत बढ़ने के चलते शीतल पेयों के बाजार में भी ग्रोथ दर्ज की गई है।
तंबाकू उत्पादों से 2 लाख टन कचरा…
राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (NICPR) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में तंबाकू उत्पादों से हर साल औसतन 1.7 लाख टन कचरा उत्पन्न होता है, जो इस वर्ष बढ़कर 2 लाख टन से भी अधिक हो सकता है। इस कचरे में सबसे ज्यादा भागीदारी अकेले उत्तर प्रदेश की है, जो कि कुल उत्पादन का 22 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य...
रिपोर्ट "The Environmental Burden of Tobacco Product Wastage in India" में बताया गया है कि सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, खैनी आदि के 222 ब्रांड्स (सिगरेट के 70, बीड़ी के 94 और धुंआ रहित तंबाकू के 58) का विश्लेषण किया गया। इन उत्पादों के प्लास्टिक रैपर, कागज, फिल्टर आदि का ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया के डाटा से मिलान कर यह निष्कर्ष निकाला गया कि तंबाकू से पैदा होने वाले कुल कचरे में 73,500 टन प्लास्टिक शामिल है।