कानपुर में आज भी जल रही है पाकिस्तान से लाई हुई 77 साल पुरानी ज्योति,
जानें सिंधी समाज से क्या है इसका कनेक्शन
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में स्थित भगवान झूलेलाल मंदिर सिंधी समाज की आस्था का बड़ा केंद्र है। इस मंदिर की खासियत है यहां जल रही वह अखंड ज्योति, जिसे भारत-पाक विभाजन के समय सिंध (पाकिस्तान) के ठठ्ठा स्थित भगवान झूलेलाल मंदिर से लाया गया था।
पाकिस्तान से कानपुर तक अखंड ज्योति का सफर
सिंधी समाज का दावा है कि 1947 में विभाजन के दौरान श्रद्धालु उद्धव दास इस अखंड ज्योति को पाकिस्तान से भारत लेकर आए। पहले यह ज्योति ग्वालियर में स्थापित की गई और 1948 में कानपुर लाई गई। शुरुआत में इसे पी रोड स्थित भगवान भोलेनाथ के वन खंडेश्वर मंदिर के पास एक कमरे में रखा गया। बाद में रामबाग क्षेत्र में कुटी बनाकर स्थापित किया गया और अंततः भगवान झूलेलाल मंदिर का निर्माण होने पर वहीं पर इसे स्थापित कर दिया गया।
77 सालों से जल रही है ज्योति
मंदिर निर्माण के बाद से यह अखंड ज्योति लगातार प्रज्वलित है। यह न सिर्फ सिंधी समाज बल्कि हर श्रद्धालु के लिए आस्था का प्रतीक बन चुकी है। कहा जाता है कि विभाजन के दौरान इसे भारत लाने का उद्देश्य था कि ज्योति सुरक्षित रह सके और आने वाली पीढ़ियां इसकी पूजा कर सकें।
चालिहा पर्व पर खुलते हैं पट
मंदिर में हर साल अगस्त महीने में चालिहा महोत्सव आयोजित किया जाता है, जो 40 दिनों तक चलता है। इस दौरान अखंड ज्योति के पट खोले जाते हैं और श्रद्धालु दर्शन करते हैं। खास बात यह है कि इस अवसर पर देश ही नहीं, विदेशों से भी लोग कानपुर आकर इस ज्योति के दर्शन करते हैं।
आस्था और पहचान का प्रतीक
युवा एकता सिंधी समाज के अध्यक्ष धर्मेंद्र फतवानी बताते हैं कि झूलेलाल मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सिंधी समुदाय की पहचान और विरासत का प्रतीक है। यहां आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि यह अखंड ज्योति उनके विश्वास और एकता का प्रतीक है, जो 77 वर्षों से लगातार जल रही है।