पूरब का ऑक्सफ़ोर्ड कही जाती है यूपी की ये सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी,
PM से लेकर राष्ट्रपति तक रहें हैं यहां के कई छात्र
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश को हमेशा से ही शिक्षा का एक बड़ा केंद्र माना जाता है। यहां के कई संस्थान न सिर्फ प्रदेश बल्कि पूरे देश के छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन अगर सवाल उठे कि उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय कौन सा है, तो इसका जवाब है इलाहाबाद विश्वविद्यालय।
स्थापना और ऐतिहासिक महत्व दरअसल 23 सितंबर 1887 को स्थापित इलाहाबाद विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता और प्रभावशाली पूर्व छात्रों के कारण इसे “पूरब का ऑक्सफोर्ड” भी कहा जाता है। यह शुरुआत में कोलकाता विश्वविद्यालय की एक शाखा के रूप में कार्य करता था, लेकिन बाद में यह भारत का चौथा सबसे पुराना और उत्तर प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बना। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पहले भारत में केवल चार विश्वविद्यालय थे- कोलकाता, मद्रास, बॉम्बे और पंजाब विश्वविद्यालय। वहीं 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने इलाहाबाद को प्रशासनिक राजधानी बनाया और इस विश्वविद्यालय को भी संसाधनों की कोई कमी नहीं रही। ब्रिटिश शासन के दौरान यहां हिंदी साहित्य, इतिहास और दर्शन जैसे विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा दी जाती थी।
शिक्षा की गुणवत्ता और पहचान इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पहचान इसके कठोर पाठ्यक्रम, सख्त शैक्षणिक मानकों और बेहतर टीचिंग स्टाइल की वजह से बनी। यहां से निकले छात्र न सिर्फ अकादमिक रूप से बल्कि लीडरशिप और पॉलिसी मेकिंग में भी आगे बढ़े। यही वजह है कि इसे IAS और IPS अफसर बनाने की “फैक्ट्री” तक कहा जाता है।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी रहे छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने देश को कई बड़े नेता दिए हैं। जिनमें, भारत के दो राष्ट्रपति – डॉ. शंकर दयाल शर्मा और डॉ. जाकिर हुसैन, तीन प्रधानमंत्री – गुलजारी लाल नंदा, विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर। साथ ही कई मुख्यमंत्री जैसे- पंडित गोविंद बल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, मदन लाल खुराना, विजय बहुगुणा और अर्जुन सिंह का नाम शामिल है।