स्मार्ट मीटर लगाने के नामपर लाखों का चूना..!
चार अधिकारोयों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज
6 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। सीतापुर में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी और उसके चार अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया है। इस मामले ने पावर कॉर्पोरेशन के सिस्टम की खामियों और उपभोक्ता बिलिंग पर गहराते संकट को उजागर कर दिया है।
स्मार्ट मीटरों में हेरफेर से बढ़ी परेशान
राज्यभर में कुल 2.73 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं, जिनमें से अब तक 34.05 लाख मीटर लगाए जा चुके हैं। सीतापुर सहित मध्यांचल क्षेत्र में यह काम ‘पोलरिस स्मार्ट मीटर प्राइवेट लिमिटेड’ को सौंपा गया था। जांच में चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है। पता चला कि कंपनी के कर्मचारियों ने उपभोक्ताओं के पुराने मीटरों को या तो जानबूझकर खराब कर दिया या उनकी रीडिंग को शून्य कर दिया। कई मामलों में मीटरों के डिस्प्ले लेजर या अन्य तरीकों से नष्ट कर दिए गए। इस हेरफेर के कारण पुराने बकाया बिलों की वसूली रुक गई, जिससे निगम को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं, नए स्मार्ट मीटरों की बिलिंग व्यवस्था भी गड़बड़ा गई है।
अधिकारियों और कंपनी पर FIR दर्ज
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के अवर अभियंता समित कुमार ने सीतापुर में कंपनी के स्टेट क्लस्टर हेड राजेश यादव, जोनल प्रोजेक्ट मैनेजर अंकुर मिश्रा, जिला प्रबंधक रोशन प्रभात और गोमती स्मार्ट मीटर प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि कंपनी लगभग 443 पुराने मीटर वापस नहीं लौटा पाई है, जिससे उपभोक्ताओं के बिल जारी करना असंभव हो गया है।
गोंडा और बलरामपुर में भी सामने आई गड़बड़ी
सीतापुर तक ही सीमित न रहकर, यह गड़बड़ी गोंडा और बलरामपुर में भी देखने को मिली है। वहां भी कई पुराने मीटरों के डिस्प्ले टूटी हुई हालत में पाए गए। बिजली उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस पूरे मामले को एक बड़ा घोटाला करार दिया है। उनका कहना है कि इसमें न केवल कंपनियों की बल्कि कुछ उपभोक्ताओं की भी मिलीभगत हो सकती है। पुराने बकाया बिलों को माफ करने के लिए जानबूझकर इस तरह की हेरफेर की गई होगी।