लोकायुक्त की वार्षिक रिपोर्ट से मचा हड़कंप…
4 IAS, 10 नगर पालिका अध्यक्ष और 93 अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति संजय मिश्रा ने वर्ष 2024 की वार्षिक प्रतिवेदन रिपोर्ट राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में भ्रष्टाचार, लापरवाही और पद के दुरुपयोग के मामलों पर बड़ा खुलासा हुआ है। लोकायुक्त ने 4 आईएएस अधिकारियों, 10 नगर पालिका/नगर पंचायत अध्यक्षों और 93 अन्य सरकारी अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की संस्तुति की है। वहीं रिपोर्ट सामने आने के बाद प्रशासनिक हलकों में खलबली मच गई है, क्योंकि लोकायुक्त की सिफारिशों के बाद माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई बड़े अफसरों पर सरकार की गाज गिर सकती है।
2168 नई शिकायतें, 2353 मामले अब भी लंबित
लोकायुक्त कार्यालय को वर्ष 2024 में 2168 नई शिकायतें प्राप्त हुईं। पहले से लंबित मामलों के साथ कुल 4484 मामले विचाराधीन रहे। इनमें से, 2131 मामलों का निपटारा किया गया, 1200 मामलों का समाधान शुरुआती जांच में ही हो गया, 931 मामलों पर विस्तृत जांच के बाद कार्रवाई की गई तथा 2353 मामले अभी भी लंबित हैं। वहीं इन आंकड़ों से साफ है कि लोकायुक्त दफ्तर पर शिकायतों का भारी दबाव है, लेकिन निपटारे की रफ्तार भी तेज रखी गई है।
115 शिकायतकर्ताओं को मिली बड़ी राहत
लोकायुक्त की कार्रवाई से 115 मामलों में शिकायतकर्ताओं को पूरी राहत मिली है। इनमें से ज्यादातर लोग पेंशन, सेवा लाभ और सेवानिवृत्ति से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे थे। लोकायुक्त की सख्ती के बाद शासन ने उन्हें 3.72 करोड़ रुपये का भुगतान कराया। राहत पाने वाले 9 लोगों ने लोकायुक्त को धन्यवाद पत्र भी भेजा है। इसे लेकर लोकायुक्त ने दावा किया है कि उनका उद्देश्य सिर्फ न्याय दिलाना नहीं बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता स्थापित करना भी है।
भ्रष्टाचार पर लोकायुक्त का सख्त रुख
वहीं जानकारी एक मुताबिक, शासन को कुल 55 रिपोर्टें भेजी गईं, जिनमें, 31 सामान्य रिपोर्टें, 20 सिफारिशें और 4 विशेष रिपोर्टें शामिल हैं। लोकायुक्त ने साफ कहा है कि भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामलों में उच्च अधिकारियों तक को बख्शा नहीं जाना चाहिए। ये रिपोर्ट शासन को यह संदेश देती है कि सिस्टम में सुधार तभी संभव है जब जिम्मेदार अफसरों को जवाबदेह ठहराया जाए।
जनजागरूकता पर भी फोकस
लोकायुक्त ने सिर्फ कार्रवाई ही नहीं की, बल्कि लोगों को जागरूक करने की दिशा में भी कदम उठाए। प्रयागराज महाकुंभ में विशेष शिविर लगाकर लोगों को सिखाया गया कि वे अपनी शिकायतें सीधे लोकायुक्त तक कैसे पहुंचा सकते हैं। विभिन्न विश्वविद्यालयों के 250 छात्रों को लोकायुक्त की कार्यप्रणाली और पारदर्शी प्रशासन की ट्रेनिंग दी गई।
आने वाले दिनों में सरकार की सख्ती तय
लोकायुक्त की इस रिपोर्ट में बड़े अफसरों तक पर कार्रवाई की सिफारिश के बाद माना जा रहा है कि योगी सरकार जल्द ही सख्त कदम उठा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, शासन ने रिपोर्ट का विस्तृत अध्ययन शुरू कर दिया है और आने वाले दिनों में कई बड़े तबादले, निलंबन और विभागीय जांच की तैयारी हो सकती है।