अब विवाहित बेटियों को भी मिलेगा पिता की संपत्ति में बराबर का हक,
यूपी में होने जा रहा ऐतिहासिक क़ानूनी बदलाव
1 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश में बेटियों के हक में एक ऐतिहासिक फैसला होने जा रहा है। अब जल्द ही विवाहित बेटियों को भी पिता की कृषि भूमि में वही अधिकार मिलेगा, जो अब तक केवल अविवाहित बेटियों को प्राप्त था। इसके लिए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 की धारा 108 की उपधारा (2) में संशोधन की तैयारी की जा रही है। राजस्व परिषद ने इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है और इसी माह इसे शासन के पास भेजा जाएगा। इसे महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मौजूदा कानून क्या कहता है ?
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 की धारा 108(2) के तहत वर्तमान में किसी पुरुष भूमिधर (कृषि भूमि के मालिक) की मृत्यु होने पर उसकी संपत्ति का उत्तराधिकार केवल विधवा, पुत्र और अविवाहित पुत्री के नाम दर्ज होता है। इस प्रक्रिया को वरासत दर्ज करना कहा जाता है। यदि यह तीनों उत्तराधिकारी न हों, तो जमीन मृतक के माता-पिता के नाम चढ़ाई जाती है और उसके बाद विवाहित पुत्री को अधिकार मिलता है। इसके बाद मृतक के भाई और अविवाहित बहन को प्राथमिकता दी जाती है। इस प्रणाली में विवाहित बेटियों को सबसे अंत में रखा जाता है, जिसके कारण अधिकांश मामलों में उन्हें अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिल पाता।
क्या बदलेगा नए संशोधन के बाद ?
प्रस्तावित संशोधन के तहत धारा 108(2) से ‘विवाहित’ और ‘अविवाहित’ शब्दों को हटा दिया जाएगा। इसके बाद विवाहित और अविवाहित बेटियों को बराबर का हिस्सा मिलेगा। इस बदलाव के बाद उत्तराधिकार की प्राथमिकता में भी बड़ा परिवर्तन होगा। अब बेटियों को विवाह की स्थिति के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में नहीं बांटा जाएगा। यानी, सभी पुत्रियों को समान अधिकार मिलेगा। विवाहित और अविवाहित बहनों के बीच का अंतर भी समाप्त होगा। मृतक के भाई या अविवाहित बहन के अधिकार अब बेटियों से पीछे हो जाएंगे। वहीं इस संशोधन से किसी भी बेटी को विवाह के कारण अपने हक से वंचित नहीं किया जा सकेगा।
महिला सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम
यह संशोधन केवल कानूनी बदलाव नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय और महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक ठोस कदम है। शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, यह प्रस्ताव मध्य प्रदेश और राजस्थान की तर्ज पर तैयार किया गया है, जहां पहले से ही विवाहित बेटियों को पुत्रों के समान अधिकार प्राप्त हैं। अब उत्तर प्रदेश में इस प्रस्ताव को शासन स्तर पर परीक्षण के बाद कैबिनेट में पेश किया जाएगा। चूंकि यह एक्ट में संशोधन है, इसलिए विधानसभा और विधान परिषद दोनों की स्वीकृति अनिवार्य होगी।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी जानकारों का मानना है कि यह संशोधन लैंगिक समानता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। ग्रामीण इलाकों में कृषि भूमि का मालिकाना हक न केवल सामाजिक प्रतिष्ठा बल्कि आर्थिक सुरक्षा का भी प्रतीक माना जाता है। इस बदलाव के बाद लाखों विवाहित बेटियों को अपने पिता की संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलेगा। इससे बेटियों की आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक स्थिति मजबूत होगी।
लागू होने के बाद होगा बड़ा प्रभाव
राजस्व परिषद का यह प्रस्ताव शासन और विधानमंडल की मंजूरी के बाद कानून का रूप लेगा। अगर यह पास हो जाता है, तो उत्तर प्रदेश उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो जाएगा, जो बेटियों को संपत्ति में बराबरी का हक देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह न केवल कानूनी सुधार होगा, बल्कि यह बेटियों के सम्मान, समानता और सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल साबित होगी।