संभल में बचे सिर्फ 15 % हिन्दू ! जांच में जामा मस्जिद, हरिहर मंदिर..!
450 पन्नों की न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में चौकाने वाले खुलासे..!
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में नवंबर 2024 में हुए दंगे के बाद गठित न्यायिक आयोग ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है। गुरुवार, 28 अगस्त 2025 को प्रस्तुत की गई यह रिपोर्ट कुल 450 पन्नों की है, जिसमें न केवल दंगे के कारणों और घटनाक्रम का विवरण है, बल्कि संभल की जनसांख्यिकी, धार्मिक स्थलों के ऐतिहासिक साक्ष्य और तुष्टिकरण की राजनीति से जुड़े कई सनसनीखेज खुलासे किए गए हैं।
ऐतिहासिक साक्ष्यों ने बदली तस्वीर
दरअसल इस रिपोर्ट में सबसे अहम खुलासा हरिहर मंदिर और शाही जामा मस्जिद से जुड़ा है। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में ऐतिहासिक दस्तावेजों और पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर हरिहर मंदिर के अस्तित्व की पुष्टि की गई है। आयोग के अनुसार, इन साक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान में जिस स्थल को लेकर विवाद है, वहां कभी प्राचीन हरिहर मंदिर मौजूद था।
बदलती जनसांख्यिकी पर गंभीर सवाल
वहीं संभल की डेमोग्राफी को लेकर भी रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारी दी गई है। आज़ादी के समय यानी सन् 1947 में संभल में करीब 45% हिंदू आबादी थी, जो अब घटकर मात्र 15% से 20% के बीच रह गई है। आयोग का मानना है कि इस बड़े बदलाव के पीछे बार-बार होने वाले दंगे और तुष्टिकरण की राजनीति का गहरा असर रहा है।
24 नवंबर की हिंसा और उसका विवरण
दरअसल इस रिपोर्ट में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा का विस्तार से वर्णन किया गया है। जिसके तहत आयोग ने न केवल उस दिन की घटनाओं का क्रमवार विवरण दिया है, बल्कि यह भी बताया है कि किस तरह हिंसा फैलने की शुरुआत हुई, किन इलाकों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ और पुलिस-प्रशासन की क्या भूमिका रही। इसके साथ ही आयोग ने यह भी दर्ज किया है कि संभल के इतिहास में हुए सभी बड़े दंगों की संख्या, उनके कारण और परिणामों का पूरा ब्यौरा तैयार किया गया है। यह हिस्सा खासतौर पर राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है।
न्यायिक आयोग की संरचना
संभल दंगों की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग में तीन वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। जिनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा, रिटायर्ड IAS अमित मोहन और रिटायर्ड IPS अरविंद कुमार जैन का नाम शामिल है। वहीं इन तीनों सदस्यों ने संयुक्त रूप से विभिन्न पक्षों से बयान लिए, साक्ष्य जुटाए और कई दौर की सुनवाई के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है।
राजनीतिक माहौल पर असर
वहीं रिपोर्ट के निष्कर्षों से यह साफ है कि संभल की जनसांख्यिकी और धार्मिक विवादों पर बड़ा राजनीतिक असर पड़ सकता है। खासकर यूपी की आगामी पंचायत चुनावों से पहले इस रिपोर्ट का खुलासा राजनीतिक सरगर्मी को और बढ़ा सकता है।