संभल मस्जिद मामले में बनी रहेगी यथास्थिति,
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़ा आदेश जारी करते हुए 25 अगस्त तक यथास्थिति (Status Quo) बनाए रखने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और अतुल एस. चंदुरकर की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के 19 मई 2025 के आदेश के खिलाफ संभल मस्जिद समिति की दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जसपर फिलहाल उन्होंने रोक लगा दी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश और विवाद
संभल की शाही जामा मस्जिद से जुड़े इस विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 मई 2025 को दिए अपने फैसले में कहा था कि यह मामला पूजा स्थल अधिनियम, 1991 (Places of Worship Act) के दायरे में नहीं आता। हाईकोर्ट का यह फैसला हिंदू पक्षों की याचिका पर आया था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि संभल मस्जिद से संबंधित मुकदमा पूजा स्थल अधिनियम के तहत प्रतिबंधित नहीं है, क्योंकि इस मामले में विवाद मस्जिद की ऐतिहासिक स्थिति की जांच से जुड़ा है। इसी आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद समिति की दलीलें
संभल मस्जिद समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह निष्कर्ष गलत है कि यह मुकदमा पूजा स्थल अधिनियम के तहत नहीं आता। अहमदी ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम, 1991 स्पष्ट रूप से कहता है कि 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस स्वरूप में थे, उनकी स्थिति को बदला नहीं जा सकता। इसलिए संभल मस्जिद से जुड़ी किसी भी तरह की जांच या विवाद इस अधिनियम का उल्लंघन होगा।
हिंदू पक्ष की दलीलें और ASI का तर्क
हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि इस मामले में पूजा स्थल अधिनियम का कोई सवाल ही नहीं उठता। जैन ने तर्क दिया कि चूंकि संभल मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित एक स्मारक है, इसलिए यह अधिनियम के दायरे से बाहर है। उन्होंने यह भी कहा कि वादी केवल स्मारक तक पहुंच की मांग कर रहे हैं, किसी धार्मिक संरचना को बदलने या कब्जा करने की नहीं। इसके अलावा, जैन ने यह भी बताया कि कोर्ट की एक अन्य पीठ ने हाल ही में एक आदेश में स्पष्ट किया है कि एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारक पूजा स्थल अधिनियम के दायरे में नहीं आते। इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जैन से कहा कि वह इस आदेश की प्रति सोमवार को प्रस्तुत करें।
अंतरिम आदेश और अगली सुनवाई
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि कोर्ट असंगत आदेश नहीं देना चाहता। इसलिए, मामले की अगली सुनवाई सोमवार, 25 अगस्त 2025 को होगी। तब तक सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर यथास्थिति (Status Quo) बनाए रखने का निर्देश दिया है। वहीं जानकारों के मुताबिक इस आदेश का सीधा अर्थ है कि फिलहाल…
- मस्जिद परिसर में कोई नया सर्वेक्षण नहीं होगा।
- किसी भी प्रकार का निर्माण, तोड़फोड़ या खुदाई नहीं की जाएगी।
- मौजूदा स्थिति जस की तस बनी रहेगी।
पिछली घटनाएं और हाईकोर्ट का रुख
इस मामले की जड़ नवंबर 2024 के उस आदेश से जुड़ी है, जब निचली अदालत ने मस्जिद परिसर की स्थानीय जांच के लिए एक अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया था। आयुक्त के मस्जिद परिसर दौरे के बाद क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। बाद में, नवंबर 2024 में ही सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की कार्यवाही पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कि इलाहाबाद हाईकोर्ट मस्जिद समिति की चुनौती पर फैसला नहीं दे देता। लेकिन 19 मई 2025 को हाईकोर्ट ने मस्जिद समिति की याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।