डिप्टी CM की बैठक में बुलाकर इस सपा विधायक को भगाया..!
MLA ने पोस्ट कर सरकार को घेरा
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
बहराइच में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की अध्यक्षता में 18 सितंबर को आयोजित समीक्षा बैठक अब राजनीतिक विवाद का कारण बन गई है। बैठक में शामिल होने पहुंचे कैसरगंज के सपा विधायक आनंद यादव ने डिप्टी सीएम पर आरोप लगाया है कि, जनता की समस्याओं को उठाने के लिए वे समय से कलेक्ट्रेट सभागार पहुंचे थे, लेकिन वहां उन्हें भरी सभा में अपमानित कर बाहर कर दिया गया।
जिलाधिकारी ने भेजा था औपचारिक आमंत्रण दरअसल आरोप है कि, जिलाधिकारी बहराइच की ओर से 17 सितंबर 2025 को जारी पत्रांक संख्या 190/सा०लि०/मा०उ०मु०म० भ्रमण/25 के माध्यम से जिले के सभी जनप्रतिनिधियों को समीक्षा बैठक में आमंत्रित किया गया था। कथित पत्र में स्पष्ट उल्लेख था कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की अध्यक्षता में 18 सितंबर को कलेक्ट्रेट सभागार में समीक्षा बैठक होगी और सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों को इसमें उपस्थित रहना है। वहीं इस लिखित आमंत्रण के बाद भी विपक्षी विधायक को बाहर किया जाना सवालों के घेरे में है।
विधायक बोले—‘यह मेरा नहीं, जनता का अपमान है’ वहीं कथित तौर पर बैठक से बाहर किए जाने के बाद विधायक ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए कहा है कि, वे अपने विधानसभा क्षेत्र कैसरगंज की जनता की ओर से विकास से जुड़ी समस्याओं और जनहित के मुद्दों को सामने रखने के लिए बैठक में पहुंचे थे। लेकिन डिप्टी सीएम ने उन्हें न सिर्फ बोलने से रोका बल्कि भरी सभा में बाहर निकलवा दिया। विधायक ने आरोप लगाया कि “यह मेरा अपमान नहीं बल्कि कैसरगंज की सम्मानित जनता का अपमान है।”
विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप विधायक ने इस घटना को भाजपा सरकार की तानाशाही और दमनकारी सोच का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि, डिप्टी सीएम का यह रवैया विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि को विकास और समस्याओं पर सवाल उठाने से रोकना सीधे तौर पर लोकतंत्र का अपमान है।
विवाद से गरमाई सियासत वहीं इस पूरे घटनाक्रम के बाद बहराइच की सियासत गरमा गई है। विपक्ष इसे जनता की आवाज को दबाने की कोशिश बता रहा है, वहीं सत्ता पक्ष अब तक इस पर खुलकर कुछ नहीं बोला है। हालांकि जिलाधिकारी का पत्र सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि बैठक में आमंत्रण आधिकारिक रूप से भेजा गया था। अब देखना होगा कि डिप्टी सीएम और भाजपा इस विवाद पर क्या सफाई देते हैं।