कोई आँख निकालेगा तो कोई कलेजा, बाबा की पुलिस पर सियासी बयानबाजी,
मंत्री के बेटे पर भड़के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह
1 months ago
Written By: State Desk
उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारे में हलचल तेज हो गई है। यहां सियासी पारा गरमाता नजर आ रहा है। सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर द्वारा पुलिस प्रशासन को खुली धमकी देने पर राजनीति बयानबाजी तेज हो गई है। अरुण ने कहा था कि जिनको पीला गमछा से तकलीफ है, जिनकी आंखें नहीं काम कर रही है तो भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के कार्यकर्ता उनकी आंखें निकाल लेंगे। इस पर योगी सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने बिना नाम लिए अरुण राजभर को चेतावनी दी है।
क्या बोले योगी के मंत्री?
ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर द्वारा पुलिस वालों के आंखे निकाल देने वाले बयान पर योगी सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने भी अरुण राजभर को धमकी दे डाली है। कैबिनेट मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि अब कोई उत्तर प्रदेश की पुलिस की आँख नहीं निकाल सकता। अब वह पुलिस नहीं है, यह योगी जी की पुलिस है। अगर कोई कॉलर पकड़ेगा तो उसका कलेजा निकाल देंगे।
सपा ने भी की कार्रवाई की मांग
वहीं, ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर और सुभासपा पर समाजवादी पार्टी ने भी सियासी हमला किया है। सपा प्रवक्ता ने कहा कि ये बीजेपी के घटक दलों का मामला है। अगर इतनी ही आपस में रंजिश है तो इनको अलग हो जाना चाहिए। अगर अरुण राजभर ने इस तरह का कोई बयान दिया है तो उन पर करवाई होनी चाहिए।
यह है मामला
दरअसल, बलिया के बांसडीह तहसील में भारतीय सुहेलदेव पार्टी के बांसडीह विधानसभा प्रभारी उमापति राजभर को एसडीएम के स्टेनो की गाड़ी ने टक्कर मार दी थी, जिसका विरोध किया तो स्टेनो ने पिटाई करते हुए बांसडीह दरोगा को बुलवाकर नेताजी को थाने में ले जाकर जमकर पिटाई कर दी। कहा जा रहा है कि उमापति राजभर के गले में पीला गमछा भी था। अरुण राजभर ने आरोप लगाया था कि उनकी पार्टी भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के कार्यकर्ता को बांसडीह कोतवाली में जमकर पुलिस ने पिटाई की। अरुण ने पुलिस को धमकी देते हुए कहा था कि जिनको पीला गमछा से तकलीफ है। जिनकी आंखें नहीं काम कर रही है तो भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के कार्यकर्ता उनकी आंखें निकाल लेंगे। उन्होंने कहा था कि अब आर-पार की लड़ाई होगी।
उपनिरीक्षक और एक सिपाही को किया गया निलंबित
अरुण राजभर ने दोषी, दरोगा, सिपाही और एसडीएम के स्टेनो के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने पर 7 मार्च को थाने का घेराव करने की धमकी भी दी थी। हालांकि इस मामले में 5 मार्च को ही बांसडीह कोतवाली में तैनात एक उपनिरीक्षक और एक सिपाही को निलंबित कर दिया था। लेकिन स्टेनो के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा एसडीएम के स्टेनो की तहरीर पर सुभासपा नेता उमापति राजभर पर ही मुकदमा दर्ज हो गया। जिसके बाद स्टेनो के खिलाफ भी कार्रवाई करने की बात पर मामला थम गया और 7 मार्च का धरना स्थगित कर दिया गया।