तीन तलाक और हलाला से परेशान रुबा ने छोड़ा इस्लाम,
राजेश से शादी करके बनी रूबी
13 days ago
Written By: State Desk
"इस्लाम धर्म में कोई बुराई नहीं है, मगर मुझे तीन तलाक, हलाला जैसी प्रथाएं अच्छी नहीं लगतीं”...ये शब्द हैं रुबा के, जो हिंदू धर्म अपनाकर अब रूबी बन गई हैं। इस परिवर्तन की वजह कोई मिशनरी नहीं, बल्कि वह प्यार बना है, जो लगभग एक साल पहले अलीगढ़ के राजेश से हो गया था। इसके बाद रुबा ने सनातन धर्म अपनाते हुए राजेश से शादी कर ली। यह शादी एक मंदिर में संपन्न हुई, जिसके बाद रुबा ने अपना नाम बदलकर हिंदू नाम रूबी रसख रख लिया है।
दोस्त से मिलने आया और नैना चार हो गए...
दरअसल, बरेली के शाही निवासी राजेश की रुबा से मोहब्बत एक दोस्त के जरिए शुरू हुई थी। राजेश का दोस्त अलीगढ़ के इगलास थाना क्षेत्र के एक गांव में रहता था और राजेश अक्सर दोस्त से मिलने जाया करता था। इसी दौरान एक साल पहले उसकी मुलाकात गांव निवासी रुबा से हो गई। पहली ही मुलाकात में रुबा ने राजेश से उसका मोबाइल नंबर मांग लिया। फिर दोनों की बातचीत शुरू हो गई और यह बातचीत धीरे-धीरे प्यार में बदल गई।
नहीं माने घर वाले...
मोहब्बत की गहराई बढ़ी तो बात शादी तक पहुंच गई। इसके बाद रुबा और राजेश ने एक-दूसरे के बारे में अपने-अपने घरों में बताया और शादी करने की इच्छा जाहिर की, मगर दोनों के परिवार वाले तैयार नहीं हुए। रुबा ने बताया, "मैंने ही राजेश से शादी करने की इच्छा जाहिर की थी। तब राजेश ने कहा - मैं हिंदू हूं और तुम मुसलमान। हमारे धर्म अलग हैं, सोच लो। कहीं ऐसा न हो कि धर्म आड़े आ जाए और तुम बदल जाओ।"
रुबा कहती हैं कि "मैंने राजेश से कहा - मुझे कोई ऐतराज नहीं है।" इसके बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया।
मोहब्बत चढ़ी परवान, अपनाया सनातन धर्म...
जब घरवाले नहीं माने तो दोनों ने भागकर शादी करने का निर्णय लिया और 3 अप्रैल को रुबा घर से निकल आई। इसके बाद वह ट्रेन से बरेली पहुंची और राजेश से मिली। 10 अप्रैल को दोनों बरेली के अगस्त्य मुनि आश्रम पहुंचे, जहां पंडित के.के. शंखधार ने रुबा का सनातन धर्म में दीक्षित कराया। उन्होंने गोमूत्र और गंगाजल से रुबा का शुद्धिकरण कराया, जिसके बाद रुबा ने अपना नाम बदलकर रूबी रख लिया। फिर पंडित शंखधार ने विधिवत रीति-रिवाज से दोनों की शादी करवाई। दोनों ने अग्नि के सात फेरे लिए। राजेश ने रूबी की मांग में सिंदूर भरा और मंगलसूत्र पहनाया। रूबी का कहना है – "मैं बालिग हूं। मैं अपनी मर्जी से घर से राजेश के पास आई हूं। मुझे न तो किसी ने डराया और न ही धमकाया है। मुझे हिंदू धर्म अच्छा लगता है। मुझे कोई भगाकर नहीं लाया, बल्कि मैं अपनी इच्छा से बरेली आई हूं।