यूपी में दो लोग के नाम निकली 99 फर्जी पॉलिसियां…
फसल बीमा योजना से सरकार को लगाया लाखों का चूना
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है। जांच में ऐसे हैरान करने वाले तथ्य मिले हैं, जिन पर यकीन करना मुश्किल है। यहां एक ही व्यक्ति के नाम पर 65 फसल बीमा पॉलिसियां निकाली गईं, वहीं दूसरी ओर एक महिला के नाम पर 34 पॉलिसियां दर्ज मिलीं। इन फर्जी पॉलिसियों के आधार पर लाखों रुपये का क्लेम उठाया जा चुका है। मामले ने प्रशासनिक स्तर पर हड़कंप मचा दिया है और अब किसान संगठन इसकी सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
बीमा योजना में अव्वल निकला था महोबा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत महोबा जिले को अब तक क्लेम भुगतान के मामले में अव्वल बताया जाता रहा है। लेकिन जब हकीकत की जांच हुई तो पता चला कि जिले में बहुत कम असली किसानों ने बीमा कराया था। इसके बावजूद यहां सबसे ज्यादा क्लेम निकाले गए। जांच से साफ हुआ कि फर्जीवाड़े के खेल में बीमा कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल रहे, जिन्होंने गिरोह के साथ मिलकर किसानों के नाम पर पॉलिसियां जारी कीं और करोड़ों रुपये का गबन कर लिया।
10 आरोपी गिरफ्तार, सहायक निलंबित अब तक इस मामले में पुलिस ने छह एफआईआर दर्ज की हैं। 26 नामजद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 10 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। वहीं कृषि विभाग ने भी बड़ी कार्रवाई करते हुए बीमा पटल सहायक अतुलेंद्र विक्रम सिंह को निलंबित कर दिया है। मामले की छानबीन जारी है।
एक व्यक्ति के नाम पर 65 पॉलिसियां जांच के दौरान ब्लॉक कबरई के सिजवाहा गांव की जमीन पर दर्ज पॉलिसियों में एक बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। यहां आर्यन राजपूत नामक व्यक्ति के नाम पर कुल 65 पॉलिसियां दर्ज की गईं। वह मूल रूप से मध्यप्रदेश के सागर जिले का रहने वाला है। इन पॉलिसियों के जरिए उसने करीब 3 लाख 408 रुपये का क्लेम ले लिया।
महिला के नाम पर 34 पॉलिसियां इसी तरह, जांच में दीप्ति नामक महिला के नाम पर भी 34 फसल बीमा पॉलिसियां दर्ज मिलीं। दीप्ति मध्यप्रदेश के खुरई गांव की निवासी बताई जा रही है। बीमा दस्तावेजों में दर्ज है कि उसने महोबा में मूंगफली की फसल बोई और फिर नुकसान दिखाकर 3 लाख 37 हजार 748 रुपये का क्लेम ले लिया। जबकि सिजवाहा गांव के लोगों का कहना है कि वे दीप्ति को जानते तक नहीं हैं।
किसान संगठन ने उठाई आवाज वहीं मामले के खुलासे के बाद किसान यूनियन ने आरोप लगाया है कि केवल सिजवाहा ही नहीं, बल्कि जिले के कई अन्य गांवों में भी इस तरह का फर्जीवाड़ा हुआ है। उनका कहना है कि घोटाले की जांच बेहद धीमी है और असली दोषी बच सकते हैं। इसलिए किसानों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर सीबीआई जांच की मांग की है।