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"तुम क्या चाहती हो, आत्महत्या कर लूं? तुमसे तो यह भी नहीं होगा। अगर परिवार से अलग नहीं हुए, तो तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं होगा मैं क्या कर सकती हूं।"
यह बातचीत एक पति-पत्नी के बीच की है। इसके बाद पति ने विषाक्त पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। फिर पति-पत्नी के बीच की दो ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आई हैं, जिनमें पत्नी अनुराधा को अपने मृतक पति को धमकाते हुए स्पष्ट तौर पर सुना जा सकता है। जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच तेज़ कर दी है। दरअसल, मंगल ने अनुराधा से दो साल प्रेम संबंध के बाद 13 दिसंबर 2021 को शादी की थी, जिसके बाद लगातार दोनों के बीच परिवार से अलग रहने को लेकर विवाद चलता रहा। वहीं, जान देने से पहले मंगल ने सुसाइड नोट भी लिखा, जिसमें पत्नी, सास और सालों द्वारा प्रताड़ित किए जाने की बात लिखी है। मंगल के पिता ने बहू अनुराधा, उसकी मां और उसके दो भाइयों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है।
कैसे हुई थी दोनों की शादी…
दरअसल मृतक मंगल और अनुराधा की लव कम अरेंज मैरिज हुई थी। पीएनबी में सीनियर मैनेजर पद पर तैनात मंगल के भाई भूपेंद्र ने बताया कि करीब आठ साल पहले अनुराधा के पिता हरिकेश सिंह मेरे दोस्त के माध्यम से रिश्ता लेकर आए थे। वह दुबग्गा चौकी में तैनात थे। उस समय बात नहीं बनी थी। इसके बावजूद मंगल ने अनुराधा से शादी करने की जिद की। सबने एक बार रिश्ता टूटने का हवाला दिया, लेकिन दोनों छुप-छुपकर बात करते रहे। एक दिन अचानक अनुराधा घर से कपड़े लेकर भाग गई। मंगल को फोन कर बुलाया। जब यह बात परिजनों को पता चली, तो सबने समझाकर अनुराधा को घर लौटा दिया। इसके बाद वह शादी का दबाव बनाने लगी। लोकलाज और मंगल की जिद के आगे बेबस होकर परिवार ने 13 दिसंबर 2021 को उनकी शादी करा दी।
घर से अलग रहने का बना रही थी दबाव…
मंगल के पिता वीरेंद्र नाथ सिंह ने कहा कि शादी के बाद मेरा हंसमुख बेटा तनाव में रहने लगा। अनुराधा लगातार उस पर घर से अलग रहने का दबाव बनाती थी, जिसमें उसके भाई और माता-पिता की मुख्य भूमिका थी। मैंने अपने रिटायरमेंट के बाद मिले पूरे पैसे से कपूरथला में बेटे के लिए पेंट की दुकान खुलवा दी थी। मेरे बेटे ने बहू और उसके मायके वालों की प्रताड़ना से तंग आकर ही आत्महत्या की है। इसके सबूत बेटे के मोबाइल में मिली वॉइस रिकॉर्डिंग, सुसाइड नोट और रोज़-रोज़ होने वाले विवाद हैं। यदि पुलिस ने मेरी या बेटे की शिकायत को गंभीरता से लिया होता, तो आज वह जीवित होता। अब पुलिस-प्रशासन मेरे बेटे की मौत के ज़िम्मेदारों को कठोर से कठोर सज़ा दिलाए।
अकेले रहने को कहती थी पत्नी, बढ़ा विवाद…
दरअसल, जॉगर्स पार्क, बसंतकुंज निवासी मंगल अलीगंज में ऑटो पार्ट्स की दुकान चलाता था। उसकी 13 दिसंबर 2021 को रस्तोगी नगर निवासी इंस्पेक्टर हरिकेश सिंह की बेटी अनुराधा सिंह उर्फ चंचल से लव कम अरेंज मैरिज हुई थी। दोनों के 26 दिसंबर 2022 को जुड़वां बेटे गोविंद और गोपाल पैदा हुए। मंगल की बहन का कहना है कि शादी के कुछ ही दिन बाद से ही घर में साथ रहने को लेकर विवाद शुरू हो गया था। आए दिन विवाद के बाद अनुराधा मायके चली जाती और फिर मान-मनव्वल के बाद लौट आती। दोनों का विवाद अधिकतर बेंगलुरु में रहने वाले अनुराधा के भाई अविनाश के आने पर शुरू होता था। इसका ज़िक्र सुसाइड नोट में भी है।
पड़ोसियों की राय…
मंगल की पड़ोसी चित्रा के अनुसार, पत्नी के टॉर्चर के चलते ही मंगल ने यह कदम उठाया। मंगल का शव उठते ही अनुराधा के परिजनों ने घरवालों से मारपीट शुरू कर दी। हम 20-25 महिलाएं वहां मौजूद थीं, इसके बाद भी वे लोग बदतमीज़ी कर रहे थे। जब महिलाओं ने एकजुट होकर विरोध किया, तो दूर से पथराव किया गया। दोस्त अमन यादव ने बताया कि मंगल अक्सर कहता था कि मेरे ससुराल वाले अत्यधिक हस्तक्षेप करते हैं, जिससे घर में तनाव बना रहता है।
बच्चों की कस्टडी को लेकर विवाद…
मंगल के पिता का कहना है कि जुड़वां पोते गोविंद और गोपाल की कस्टडी उन्हें चाहिए। उन्होंने कहा, "जो महिला अपने पति की नहीं हो सकी, वह उसकी निशानी को कैसे सलामत रखेगी?" उन्होंने बेटे की अंतिम इच्छा (सुसाइड नोट के अनुसार) के आधार पर बच्चों की कस्टडी की मांग की है।
थाने पर भी हुआ था समझौता…
पिता का आरोप है कि मंगल की पत्नी अनुराधा 25 दिन पहले बेटों के साथ मायके चली गई थी, जिससे मंगल परेशान था। उसने ससुराल वालों से बात की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। उसने पुलिस से मदद मांगी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। थाने पर ससुराल वालों और पत्नी के बीच होने वाले विवाद के सबूत देने पर अनुराधा को बुलाया गया, जहां उसके पिता ने अपने पूर्व तैनाती का फायदा उठाकर पारिवारिक मामला बताते हुए जबरन समझौता करा दिया। इससे आहत होकर मंगल अवसाद में चला गया। थाने से लौटकर वह अपने कमरे में गया और ज़हर खा लिया। यदि पुलिस 10 दिन पहले दी गई शिकायत पर कार्रवाई करती, तो यह नहीं होता।
पत्नी और ससुरालियों पर FIR…
परिजनों के मुताबिक, मंगल ने मौत से पहले सुसाइड नोट लिखा था, जो उसके बिस्तर पर मोबाइल के नीचे दबा मिला। उसमें उसने ससुराल वालों को मौत का ज़िम्मेदार ठहराया है। पुलिस ने मंगल की मौत और उसके बाद हुए हंगामे के चलते पत्नी चंचल सिंह, सास सुधा सिंह, ससुर हरिकेश सिंह, साले आलोक और अविनाश के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
पढ़िए मंगल का सुसाइड नोट...
मम्मी पापा माफ करना मैं आप लोगो को आज छोड़ कर जा रहा हूं। मेरी पत्नी चंचल में कोई कमी नहीं थी पर मेरी सास सुधा सिंह मेरे ससुर हरिकेश सिंह और मेरे दोनों साले आलोक और अविनाश सिंह मेरी मौत के जिम्मेदार हैं। आलोक के ऊपर खुद दहेज प्रथा का मुकदमा चल रहा है। मेरी अंतिम इच्छा यह है कि मेरो मेरे दोनों बच्चों की कस्टडी मेरी मां और बाप को दे दी जाए। अविनाश जब भी बेंगलुरु से आता है तब तब मेरी बीबी को बहला के उससे मुझे मानसिक तनाव दिलवाता था। मैं पिछले कई दिनों से मानसिक तनाव में था। मैं हर तीन महीने पर अपनी पत्नी के लिए गहने बनवाता था। हर महीने एसआईपी जमा करता था। होली के समय से ही अविनाश और आलोक और मेरी सास मुझे उल्टा बोलती थी। मेरे को मां और बाप से से अलग रहने के लिए कहती थी। जिस मां-बाप ने बड़ा किया, मुझे खिलाया, मुझे कष्टों से बड़ा किया। अत: सरकार से प्रार्थना है कि मेरे गोविंद और गोपाल को मेरे मां-बाप को दे दिया जाए और मुझे न्याय दिलाया जाए।
मंगल और अनुराध की बातचीत के दो ऑडियो सामने आए हैं ।
अब पढ़िए वायरल ऑडियो की बातचीत ….
अनुराधा: एक दिन भी अपने मां-बाप से अलग नहीं रहे हो। बच्चों से कितना अलग रहे हो? बताओ?
मंगल: बच्चों को लेकर उसकी मां खुश तो है।
अनुराधा: अगर तुम उन लोगों से अलग नहीं हुए तो तुम्हें आइडिया नहीं है कि मैं क्या कर सकती हूं। जल्द से जल्द कमरा ले लो। नहीं तो अगर मैं बसंतकुंज आ गई तो हाहाकार मचा दूंगी। जानते हो मुझे अच्छे से। प्यार से हैंडल कर रही हूं। हैंडल हो जाओ। रिश्तेदारों में नाक कटेगी तुम्हारी।
मंगल: नाक कहां बची है?
अनुराधा: जैसे तुम मुझसे बात कर रहे हो, वैसे ही अपने मां-बाप से बात किया करो। मैं आज ही अपने सामान पैक करके आ रही हूं। आने के बाद जो बवंडर मचा दूंगी। कोई मुझे समझा नहीं पाएगा। तुम्हारे मां-बाप को सुकून से रोटी तोड़ने नहीं दूंगी। अच्छे से जानते हो मुझे। प्यार से कह रही हूं। समझ जाओ। अपने मां-बाप से अलग हो जाओ।
मंगल: ठीक है।
अनुराधा: पागलों की तरह तुम्हें समझा रही हूं। तुम्हें पागल दिख रही हूं?
मंगल: नहीं, मैं पागल हूं। जो अपने बच्चों को छोड़ा पड़ा हूं।
अनुराधा: तुम पागल हो। तुमको अपने मां-बाप के अलावा किसी की जरूरत नहीं है।
मंगल: जब मैं बीमार था, अस्पताल में भर्ती था। तब बच्चों को मेरे मां-बाप ही देखते थे।
अनुराधा: तुम अलग हो जाओ, मुझे लेकर। मैं यहां कभी नहीं आऊंगी। मैं पलटकर देखूंगी भी नहीं। अगर देखूंगी तो तुम मुझे कहना।
मंगल: मैं यही चाहता हूं। ठीक है, बस एक हफ्ते का समय दो।
अनुराधा: कहती है कि एक हफ्ते लगते हैं रूम ढूंढ़ने में।
मंगल: रूम नहीं, पूरा मकान लूंगा। इस पर महिला कहती है- ठीक है, तुम्हें एक हफ्ते का टाइम दे रही हूं।
दूसरा ऑडियो-
मंगल: सुबह-सुबह उठा तो वही किचकिच शुरू हो जाती है।
अनुराधा: तुमने चीट किया है। तुमने अगर मेरा पहले से स्टैंड लिया होता तो ऐसा दिन देखने को नहीं पड़ता।
मंगल: ये बताओ, तुम्हारा कौन सा स्टैंड मैंने नहीं लिया है।
अनुराधा: तुम्हारे मां-बाप ने मुझे धक्का मारकर निकाल दिया। तुम कुछ बोले भी नहीं।
मंगल: पहले मम्मी ने नहीं, तुम ही बोली होगी।
अनुराधा: तुमको भी पता है कि मैं क्या बोल सकती हूं।
मंगल: मुझे पता है कि तुम क्या बोल सकती हो, जब तुम मेरे आंखों के सामने थप्पड़ मार सकती हो।
अनुराधा: तुम मेरी बात सुनो। तुम्हें रोकना नहीं चाहिए था। तुम सिर्फ मुझसे ही लड़ रहे हो।
मंगल: तुम क्या कहती हो? आत्महत्या कर लूं?
अनुराधा: तुमसे ये भी नहीं होगा। अपने बच्चों को तुम संभालो। उनका खर्चा दो। मेरा भाई कब तक संभालेगा? मैं उसे संभालने नहीं दूंगी। तुम्हारे बच्चे हैं। तुम ही संभालो। जो आराम से बैठे हो। तुम्हें आराम से बैठने नहीं दूंगी।
मंगल: मेरे बच्चों को मुझे दे दो।
अनुराधा: क्यों दे दूं? कौन संभालेगा वहां?
मंगल: यहां मैं, मम्मी और पापा हैं। मम्मी बच्चों को संभालेंगी।
अनुराधा: अपनी मां का नाम ही मत लो।
मंगल: तुम भी तो दारू पीती हो।
अनुराधा: लॉजिक की बात किया करो। बाहर रहना है कि नहीं। तुम मुझे बताओ। यहां मुझे यहीं सड़ाओगे।
मंगल: अगर तुम्हें खर्चा चाहिए तो कोर्ट जाओ। कोर्ट से परमिशन लो।
अनुराधा: कोर्ट अगर मैं चली गई तो ऐसे नापे जाओगे कि कुछ कहने को नहीं। ठीक है। तुम्हें बच्चों और मुझे खर्चा देना पड़ेगा। रूम लेकर साथ रहने की हैसियत नहीं है। सबका खर्चा दे लोगे?
मंगल: सबका खर्चा देख लूंगा।
अनुराधा: मैं आ रही हूं। चलो मेरे साथ रूम देखने। चंचल सिंह वो चंचल सिंह नहीं रह गई है। तुमको सीधा छोड़ने वाली नहीं हूं। मैं तुम्हारे दुकान पर पहुंची रही हूं। अगर तुमने रूम नहीं लिया तो वहीं सबके सामने डंडा करूंगी। जानते हो तुम मुझे अच्छे से।
सीधे-सीधे कह रही हूं कि रूम ले लो और मुझे रख लो। दुकान जाए भाड़ में, तुम जाओ भाड़ में। तुम्हारी ब्रिकी जाए भाड़ में। तुमने हमारी जिंदगी नाश कर दी।
मंगल: तुमने हमारी जिंदगी नाश कर दी है।
अनुराधा: मेरे घरवालों ने तुम्हें चारपहिया दिया था, तुम उसके लायक नहीं हो। तुम हकले, लूले और लंगड़े हो। तुमको मैं तीन साल से झेल रही हूं। तुमको मैं बर्बाद कर दूंगी। होली से तुम मुझे बरगला रहे हो... घर दिखा रहे हो, प्लॉट दिखा रहे हो... लेने की हैसियत है क्या तुम्हारी।
मंगल: तुम जितने गहने लेकर गई थी, लेकर आओ और आज के आज छोटे वाले मकान में शिफ्ट हो। ठीक है।
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