सिंदूर-बिंदी और चूड़ी जैसी श्रृंगार छोड़ चुकी थीं यूपी के इस गांव की महिलाएं,
पुलिस ने किया बड़ा खुलासा
1 months ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस ने मिशन शक्ति अभियान के तहत एक धर्मांतरण गिरोह का खुलासा किया है। निगोहां थाना क्षेत्र में पुलिस को ग्रामीण महिलाओं के पहनावे पर शक हुआ, जिसके बाद छानबीन में पता चला कि गिरोह प्रार्थना सभा और आर्थिक लालच के जरिए ग्रामीणों को ब्रेनवाश कर रहा था। पुलिस ने गिरोह के सरगना मलखान और मैथ्यू को गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि ग्रामीण रुद्राक्ष माला छोड़ कर क्रॉस पहनने लगे थे और महिलाएं सिंदूर, बिंदी तथा बिछुआ का प्रयोग बंद कर चुकी थीं। लेकिन गिरफ्तारी के बाद अब वे फिर से अपनी परम्पराओं की ओर लौट आए हैं।
कैसे हुआ खुलासा एसीपी रजनीश वर्मा ने बताया कि निगोहां के वक्तौरी खेड़ा, खरगपुर समेत कई गांवों में पुलिस ने महिला चौपालों का आयोजन किया। इन चौपालों में शामिल महिलाओं के पहनावे पर शक हुआ, क्योंकि अधिकांश हिंदू महिलाएं सिंदूर, बिंदी या मंगलसूत्र नहीं पहन रही थीं। पुलिस ने ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्यों को जांच सौंपी, जिन्होंने धर्मांतरण की सूचना दी। इसके बाद गिरोह के सदस्यों को हिरासत में लेकर सख्त पूछताछ की गई।
प्रार्थना सभाओं में ब्रेनवाश पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि गिरोह ने ग्रामीणों को उनकी परम्परा से दूर करने के लिए प्रार्थना सभा और चंगाई सभा का सहारा लिया। गिरोह द्वारा, घरों से सभी मूर्तियां हटा दें और मूर्ति पूजा बंद करें। ईसाई बनने के बाद शराब का सेवन न करें। क्रॉस को पवित्र जल में डुबोकर पीने से बीमारियां दूर होंगी जैसी बातें बताई जाती थीं।
व्हाट्सएप ग्रुप और फंडिंग का मामला जांच में यह भी पता चला कि सरगना मलखान ने ‘यीशू चंगाई सभा’ नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप के माध्यम से ग्रामीणों को रोजाना मैसेज भेजे जाते थे, जिसमें उन्हें प्रार्थना में शामिल होने और अन्य लोगों को धर्म में जोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता था। इसके अलावा गिरोह आर्थिक सहायता भी करता था, और इसके फंडिंग सोर्स की जांच पुलिस कर रही है।
परम्परा में वापसी मलखान और मैथ्यू की गिरफ्तारी के बाद गांव के लोग फिर से अपनी परम्परा में लौट आए हैं। महिलाएं अब पुनः बिंदी और सिंदूर पहन रही हैं और ग्रामीण अपने धार्मिक एवं सामाजिक रीति-रिवाजों को मानने लगे हैं। पुलिस का कहना है कि इस कार्रवाई से ग्रामीणों में अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने की भावना मजबूत हुई है।