अतीक की संपत्ति समझ योगी सरकार ने जिनके घर चलाया बुलडोजर,
अब सुप्रीम कोर्ट फिर से बनवाने का दे सकती है आदेश
1 months ago
Written By: State Desk
सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में 2021 में हुए एक बुलडोजर एक्शन को लेकर यूपी सरकार को आड़े हाथों लिया है। कोर्ट ने कहा है कि वह गिराए गए मकानों को सरकार के खर्च पर दोबारा बनवाने का आदेश दे सकता है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि उन्हें नोटिस मिलने के कुछ घंटों के भीतर मकानों पर बुलडोजर चला दिया गया। जवाब देने या कानूनी बचाव का मौका तक नहीं दिया गया। रविवार, 7 मार्च 2021 को हुई इस कार्रवाई में प्रोफेसर अली अहमद और वकील जुल्फिकार हैदर समेत कुल 5 लोगों के मकान गिराए गए थे। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि उन्हें शनिवार, 6 मार्च की रात को नोटिस दिया गया। हालांकि, नोटिस पर 1 मार्च की तारीख लिखी थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जिस जमीन पर यह मकान बने थे, वह लोग उसके लीज होल्डर थे। प्रशासन ने उस जगह को माफिया और राजनेता अतीक अहमद से जोड़ते हुए यह कार्रवाई की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के इस बयान को रिकॉर्ड पर लिया था कि वह भूमि नजूल लैंड थी। उसे सार्वजनिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाना था। 1906 से जारी लीज 1996 में खत्म हो चुका था। याचिकाकर्ताओं ने लीज होल्ड को फ्री-होल्ड करने का आवेदन दिया था। उन आवेदनों को 2015 और 2019 में खारिज किया जा चुका है। ऐसे में बुलडोजर कार्रवाई के जरिए अवैध कब्जे को हटाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सरकार के फैसले को बताया गलत
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच आनन-फानन में मकान गिरा दिए जाने को गलत बताया। वहीं, जस्टिस ओका ने कहा कि क्या आपको पता है कि संविधान में अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) जैसा भी कुछ है? जिस तरह का यह मामला है, उसका एक समाधान यह हो सकता है कि हम सरकार के खर्च पर इन मकानों को दोबारा बनवाएं।
21 मार्च को होगी मामले की अगली सुनवाई
दो जजों की बेंच ने हाल ही में बुलडोजर एक्शन पर आए सुप्रीम कोर्ट के दूसरी बेंच के फैसले का हवाला दिया। उस फैसले में कहा गया था कि लोगों को पर्याप्त समय और कानूनी बचाव का मौका देने के बाद ही विध्वंस की कार्रवाई हो सकती है। यूपी सरकार के लिए पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने मामले को नए सिरे से विचार के लिए हाई कोर्ट भेजने का सुझाव दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इससे मना करते हुए 21 मार्च को अगली सुनवाई की बात कही।