अजित पवार का विवादित बयान: “वोट दोगे तो ही विकास होगा”,
विपक्ष ने कहा—यह जनता के टैक्स का पैसा है
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
महाराष्ट्र में नगर पंचायत चुनावों से पहले राजनीति फिर गर्मा गई है। उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने मालेगांव में चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा बयान दे दिया, जिसे विपक्ष धमकी बता रहा है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, अजित पवार ने कहा कि विकास के लिए फंड तभी दिया जाएगा, जब लोग उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को जीत दिलाएंगे। उनके इस बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है और विपक्ष ने चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग उठाई है। बता दें कि महाराष्ट्र में मालेगांव समेत सभी नगर पंचायतों के चुनाव 2 दिसंबर को होने हैं।
चुनाव रैली में क्या बोले अजित पवार?
अजित पवार 21 नवंबर को बारामती तहसील के मालेगांव में नगर पंचायत चुनावों के लिए रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मंच से बताया कि उनकी पार्टी ने 18 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं। पवार ने कहा कि केंद्र और राज्य की कई स्कीमों पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्री मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि इन स्कीमों को ठीक ढंग से लागू किया जाए तो मालेगांव का विकास तेजी से हो सकता है। पवार ने दावा किया कि अगर जनता एनसीपी पर भरोसा करती है तो पार्टी उस भरोसे को टूटने नहीं देगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर लोग उनके पैनल को जीत दिलाते हैं तो शहर का विकास बारामती की तरह होगा।
विपक्ष ने कहा—मतदाताओं को धमकी
अजित पवार के बयान के बाद विपक्ष भड़क गया। शिवसेना (UBT) के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि यह मतदाताओं को साफ-साफ धमकाना है। उन्होंने कहा कि विकास फंड जनता के टैक्स का पैसा है, यह अजित पवार की निजी संपत्ति नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे बयानों पर चुनाव आयोग क्या कार्रवाई कर रहा है? महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सापेक्ष ने आरोप लगाया कि महायुति गठबंधन के अंदर लगातार झगड़े बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के बीच “गैंगवार” जैसी स्थिति है और राज्य की सरकार दिल्ली से आने वाले आदेशों पर चल रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अजित पवार अपने बेटे पार्थ पवार को पुणे जमीन सौदे से जुड़े मामले में क्लीन चिट दिलाने दिल्ली गए थे।
पहले भी दे चुके हैं ऐसे बयान
अजित पवार का यह पहला विवादित बयान नहीं है। जनवरी में बारामती में एक बैठक के दौरान जब लोगों ने उन्हें अपनी समस्याओं का पत्र सौंपा था, तो उन्होंने गुस्से में कहा था “आपने मुझे वोट दिया है, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं आपका हो गया।” इस बयान की भी उस समय काफी आलोचना हुई थी।