इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस समीर जैन ने आजम खान के यतीमखाना,
केस की सुनवाई से खुद को अलग किया
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में शुक्रवार को एक बड़ी कानूनी हलचल देखने को मिली। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद आजम खान से जुड़े 2016 के चर्चित यतीमखाना प्रकरण की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति समीर जैन ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया। यह फैसला सुनवाई बीच में ही लिया गया, जिससे मामला फिर से नए सिरे से किसी अन्य पीठ के पास जाएगा। यह केस कई गंभीर आरोपों से जुड़ा है, जिनमें अवैध ढांचा तोड़ने, घुसपैठ, डकैती और साजिश जैसे मामले शामिल हैं। इस केस में कुल 12 प्राथमिकी दर्ज हैं और निचली अदालत में सुनवाई पहले से जारी है।
जज समीर जैन ने बीच सुनवाई में खुद को केस से अलग किया शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस समीर जैन ने अचानक कहा कि वह इस केस की आगे सुनवाई नहीं करेंगे। अधिवक्ता शाश्वत गिरि ने बताया कि यह निर्णय सुनवाई के बीच में ही लिया गया। गौर करने वाली बात यह है कि अदालत के रोस्टर के अनुसार जस्टिस जैन सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों की सुनवाई देखने के लिए अधिकृत हैं, इसलिए उनका हटना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
2016 में यतीमखाना ढांचा गिराने का आरोप यह पूरा मामला 15 अक्टूबर 2016 की कथित घटना से जुड़ा है। रामपुर के यतीमखाना (वक्फ संख्या 157) नाम की जमीन पर बने एक कथित अवैध ढांचे को तोड़े जाने का आरोप है। इसी घटना के बाद आजम खान और उनके साथियों पर कई गंभीर आरोप लगे थे।
12 FIR दर्ज, बाद में सभी मामलों को एक केस में जोड़ा गया 2019 से 2020 के बीच रामपुर के कोतवाली थाने में इस घटना को लेकर कुल 12 प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं। शुरुआत में इन FIR पर अलग-अलग मामले चल रहे थे। लेकिन 8 अगस्त 2024 को विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए), रामपुर ने सभी केसों को जोड़कर एक ही मुकदमे में समेकित कर दिया। मामले में IPC की धाराएं—डकैती, घुसपैठ और आपराधिक साजिश—लगी हुई हैं।
उच्च न्यायालय ने पहले निचली अदालत को अंतिम आदेश न देने का निर्देश दिया था 11 जून 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि निचली अदालत सुनवाई तो कर सकती है, लेकिन फिलहाल अंतिम आदेश नहीं देगी। इस आदेश को अगली सुनवाई तक जारी रखने को कहा गया है।