इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: चेक बाउंस मामलों में FIR दर्ज करना अवैध,
सिर्फ मजिस्ट्रेट ही करेंगे कार्यवाही
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Allahabad High Court: लखनऊ हाईकोर्ट ने चेक बाउंस मामलों में पुलिस की भूमिका को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि परक्राम्य विलेख अधिनियम की धारा 138 (चेक बाउंस) के तहत एफआईआर दर्ज करना पूरी तरह अवैध है। ऐसे मामलों में सिर्फ सक्षम अधिकारी की लिखित शिकायत पर ही मजिस्ट्रेट कार्रवाई कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज कर चार्जशीट दाखिल करना और मजिस्ट्रेट द्वारा उसे बिना विचार किए स्वीकार करना आपराधिक न्याय व्यवस्था के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है।
सुधीर कुमार का मामला बना वजह
यह फैसला बुलंदशहर निवासी सुधीर कुमार गोयल की याचिका पर दिया गया। उन्होंने कोर्ट में अपील की थी कि उनके खिलाफ चेक बाउंस मामले में पुलिस ने न सिर्फ प्राथमिकी दर्ज की, बल्कि चार्जशीट भी दाखिल कर दी। जबकि अधिनियम में इसका प्रावधान ही नहीं है। मामला तब सामने आया जब शिकायतकर्ता ने सुधीर कुमार से दो भूखंड बुक कराए थे। भुगतान लेने के बाद भी भूखंड तीसरे पक्ष को बेच दिए गए। जब सुधीर कुमार ने पैसे लौटाने के लिए चार चेक दिए तो सभी बाउंस हो गए।
कोर्ट ने FIR और मजिस्ट्रेट का आदेश किया रद्द
चेक बाउंस के मामले में पुलिस ने FIR दर्ज की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने इसे अवैध बताते हुए मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द कर दिया। साथ ही निर्देश दिया कि अब इस मामले में कानून के अनुरूप नया आदेश पारित किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि एफआईआर दर्ज होने की सूचना 24 घंटे में मजिस्ट्रेट को देना जरूरी है, ताकि झूठे आरोपों की जांच हो सके।
किन मामलों में FIR नहीं होगी दर्ज
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस और अभियोजन निदेशालय को निर्देश दिया कि वे ऐसे 38 विशेष अधिनियमों की सूची तैयार करें जिनमें एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती। इसमें घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, खान और खनिज अधिनियम, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण कानून शामिल हैं। वहीं, एनडीपीएस ऐक्ट, शस्त्र अधिनियम, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और पॉक्सो एक्ट जैसे गंभीर मामलों में पुलिस को FIR दर्ज करने का अधिकार रहेगा।