शादीशुदा महिला को प्रेमी के साथ सुरक्षा देने से हाई कोर्ट का इनकार,
जानिए पूरा मामला
1 months ago
Written By: Aniket Prajapati
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में एक शादीशुदा महिला और उसके साथी को सुरक्षा देने से साफ इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि महिला पहले से विवाहिता है और ऐसे में वह अपने पति के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए किसी अवैध संबंध के लिए सुरक्षा नहीं मांग सकती। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता दूसरे व्यक्ति के कानूनी अधिकार से ऊपर नहीं हो सकती। यह फैसला उस समय आया जब महिला और उसका साथी कोर्ट से सुरक्षा की मांग करते हुए पहुंचे थे।
महिला और उसके साथी की याचिका खारिज
न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की एकल पीठ ने सोनम नाम की महिला और उसके साथी की रिट याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि पुलिस और महिला का पति उनके शांतिपूर्ण जीवन में दखल दे रहे हैं और उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि दो वयस्क व्यक्तियों के निजी जीवन में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता, लेकिन स्वतंत्रता का अधिकार पूर्ण नहीं होता। अगर किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता दूसरे के संवैधानिक अधिकार को प्रभावित करती है, तो अदालत सुरक्षा नहीं दे सकती।
जीवनसाथी के साथ रहने का अधिकार महत्वपूर्ण—कोर्ट
अदालत ने कहा कि पति या पत्नी को अपने जीवनसाथी के साथ रहने का अधिकार है। यह अधिकार किसी अन्य व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता के नाम पर छीना नहीं जा सकता। अदालत ने स्पष्ट कहा कि अगर सुरक्षा दी जाती है, तो यह अप्रत्यक्ष रूप से एक अवैध संबंध को मंजूरी देना माना जा सकता है, जो कानून के खिलाफ है।
तलाक लेने के बाद ही नया संबंध—हाई कोर्ट
राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि महिला अभी कानूनी रूप से विवाहित है और उसने अपने पति से तलाक नहीं लिया है। इस पर अदालत ने कहा कि यदि महिला की अपने पति से कोई अनबन है, तो उसे पहले कानूनी प्रक्रिया के तहत तलाक लेना होगा। उसके बाद ही वह किसी और के साथ रहने का अधिकार दावा कर सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस को सुरक्षा देने का निर्देश देना अवैध संबंधों को बढ़ावा देने जैसा होगा।
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