इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार लगाई: कहा—‘कब्ज़ा’ शब्द इंसानों के लिए नहीं,
संपत्ति के लिए होता है’
8 days ago
Written By: अनिकेत प्रजापति
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुजफ्फरनगर पुलिस की शब्दावली पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि पुलिस को यह समझना चाहिए कि कब्ज़ा (Possession) शब्द इंसानों के लिए नहीं, बल्कि चल-अचल संपत्ति के लिए इस्तेमाल होता है। अदालत एक हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक युवती ने दावा किया था कि वह बालिग है और अपनी मर्ज़ी से अपने प्रेमी के साथ रहना चाहती है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि बालिग महिला अपनी इच्छा के अनुसार कहीं भी जा सकती है और किसी भी व्यक्ति के साथ रह सकती है। इस मामले में पुलिस ने अपने मेमो में युवती को “कब्ज़े में लेने” का जिक्र किया था, जिस पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई।
पुलिस की शब्दावली पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
हाई कोर्ट ने कहा कि कब्ज़ा शब्द का इस्तेमाल इंसानों के लिए करना असंवैधानिक और कानूनी रूप से गलत है। यह शब्द आमतौर पर जमीन, मकान या किसी संपत्ति के लिए प्रयोग होता है। अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस को ‘कब्ज़ा’ और ‘हिरासत’ का अंतर समझ में आना चाहिए। कोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए और कहा कि यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
प्रेम विवाह और FIR का पूरा मामला
याचिकाकर्ता युवती और उसके पति ने कोर्ट को बताया कि दोनों ने 29 जनवरी 2024 को दिल्ली में प्रेम विवाह किया था। इसके बाद महिला के पिता ने 2023 में अपहरण की FIR दर्ज कराई थी। फिर 29 जून 2025 को पिता ने एक और FIR (क्राइम नंबर 323/2025) दर्ज कराई, जिसमें दावा किया कि बेटी नाबालिग है और उसे बहला-फुसलाकर भगा लिया गया। इस FIR में भारतीय न्याय संहिता (B.N.S.) की धाराएँ —137(2), 352, 351(3) और 61(2) — लगाई गई थीं।
स्टे ऑर्डर के बाद भी पुलिस ने युवती को पकड़ा
याचिकाकर्ताओं ने इन आरोपों के खिलाफ हाई कोर्ट में एक अलग रिट याचिका दायर की थी। 13 अगस्त 2025 को कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद, 8 सितंबर 2025 को जांच अधिकारी ने युवती को हिरासत में ले लिया और मेमो में उसे पुलिस के “कब्ज़े” में दिखाया। कोर्ट ने इसे पुलिस की लापरवाही और कानून की अवहेलना करार दिया।
कोर्ट का फैसला : युवती अपनी मर्ज़ी से रहने को स्वतंत्र
अदालत ने स्पष्ट कहा कि —
युवती बालिग है
वह किसी भी व्यक्ति के साथ रह सकती है
पुलिस का उसे “कब्ज़े” में दिखाना असंवैधानिक है
हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि युवती को अपनी पसंद के अनुसार रहने की स्वतंत्रता दी जाए।