राम मंदिर से संवरती अयोध्या,
श्रद्धा से समृद्धि तक का ऐतिहासिक सफर
2 days ago
Written By: STATE DESK
Ram Mandir Ayodhya: राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या की अर्थव्यवस्था में जो बड़ा परिवर्तन आया है, वह भारत के धार्मिक पर्यटन और निवेश की दिशा में एक ऐतिहासिक अध्याय बन चुका है। अयोध्या अब केवल धार्मिक नगरी नहीं रही, बल्कि यह उत्तर भारत का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ आर्थिक और इंफ्रास्ट्रक्चर हब बन चुकी है। मंदिर बनने के बाद से हे आये दान, तेजी से बढ़ते व्यवसाय और बढ़ते होटलों की तादात से राम नगारी में काफी बदलाव आया है। कुल मिलाकर राम नगरी अब धीरे-धीरे काफी समृद्ध हो चुकी है।
35000 करोड़ का दान
सबसे पहले बात करें राम मंदिर निर्माण से जुड़े दान की। तो, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को अब तक करीब 3,500 करोड़ रुपये का दान प्राप्त हुआ है। इन दानों से न केवल मंदिर निर्माण हुआ, बल्कि इससे जुड़े हर कार्य जैसे भव्य प्रवेश द्वार, मंदिर परिसर, सुरक्षा इंतजाम आदि में भी उपयोग किया गया। अंग्रेजी मीडिया संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार ट्रस्ट ने पिछले पांच वर्षों में ₹396 करोड़ का कर भुगतान किया है, जिसमें से ₹272 करोड़ GST और ₹130 करोड़ इनकम टैक्स व अन्य करों में शामिल हैं।
50 प्रमुख होटल परियोजनाएं
राम मंदिर बनने के साथ ही अयोध्या में होटल उद्योग में भी बड़ी उछाल देखी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां लगभग 50 प्रमुख होटल परियोजनाएँ इस समय निर्माणाधीन हैं। इसमें ताज, रेडिसन, ओयो, होटल क्लार्क्स जैसी बड़ी ब्रांड्स ने निवेश किया है। रेडिसन होटल ग्रुप ने हाल ही में 'पार्क इन बाय रेडिसन अयोध्या' होटल का उद्घाटन किया गया है।
रियल एस्टेट सेक्टर में 10 से 50 प्रतिसत की वृधि
रियल एस्टेट सेक्टर में भी बड़ा बदलाव आया है। रिपोर्ट के मुताबिक जून 2025 से अयोध्या में सर्किल रेट्स में 10% से 50% तक की वृद्धि की गई है। इससे संपत्ति की कीमतें और स्टांप ड्यूटी दोनों में तेजी से वृद्धि हुई। 2024 में अयोध्या से स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क से ₹10,141 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 33% अधिक था।
खूब आए पर्यटक
पर्यटन की बात करें तो इस क्षेत्र में भी अयोध्या में बड़ा बदलाव आया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में अयोध्या ने 13.55 करोड़ घरेलू और 3,153 अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का स्वागत किया। यह उत्तर प्रदेश का सबसे अधिक देखा जाने वाला धार्मिक स्थल बन चुका है। इससे जुड़े स्थानीय गाइड, दुकानदार, ऑटो चालक और होटल व्यवसायियों को सीधा आर्थिक लाभ हुआ है।
सरकार ने अयोध्या को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए ₹85,000 करोड़ का निवेश किया है। इसमें नया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, आधुनिक रेलवे स्टेशन, रिवर फ्रंट डेवलपमेंट और स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ शामिल हैं।
45 किलो सोने से बना दरबार
अयोध्या के राम मंदिर में 45 किलोग्राम शुद्ध सोने का उपयोग कर भगवान राम के दरबार का भव्य निर्माण किया गया है। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया है कि, यह सोना मुख्य रूप से मंदिर के द्वारों और सिंहासन पर लगा है, जिसकी अनुमानित कीमत 50 करोड़ रुपये है।
हीरा कारोबारी ने दान किए बेशकीमती आभूषण
वहीं, इस राम दरबार की प्राण प्रतिस्ठा के दौरान इसकी अलौकिक छवि को और अधिक भव्य बनाने के लिए सूरत के हीरा कारोबारी मुकेश पटेल ने बेशकीमती आभूषणों का दान किया है। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश नेवादिया ने बताया कि इन आभूषणों में 1000 कैरेट के हीरे, 30 किलो चांदी, 300 ग्राम सोना और 300 कैरेट रुबी का प्रयोग किया गया है। इन रत्नों और धातुओं से कुल 11 मुकुट, गले के हार, कानों के कुंडल, माथे का तिलक और चारों भाइयों के लिए धनुष-बाण तैयार किए गए हैं। साथ ही चार तुणीर, तीन गदा और चंवर भी बनवाए गए हैं।
स्थानीय कारीगरों के लिए भी बढ़े अवसर
इसके अलावा, अयोध्या में छोटे व्यापारियों और स्थानीय कारीगरों के लिए भी अवसर बढ़े हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर से जुड़े स्मृति चिन्ह, प्रसाद, पूजा सामग्री, गाइड सेवाओं, टैक्सी और टूर कंपनियों की माँग में भारी वृद्धि देखी गई है। अयोध्या नगर निगम ने सफाई, यातायात और सुरक्षा के लिए ₹100 करोड़ का अतिरिक्त बजट आवंटित किया है।
नौकरी और रोजग़ार में भी बढ़ोत्तरी
अयोध्या में नौकरी और स्वरोजगार के अवसर भी तेजी से बढ़े हैं। पर्यटन आधारित सेवाओं में गाइड, ट्रांसपोर्ट, होटल स्टाफ, सफाई कर्मचारी, हैंडीक्राफ्ट विक्रेता आदि के रूप में हजारों लोगों को रोजगार मिला है। राज्य सरकार के अनुसार, इन परियोजनाओं और निजी निवेश के माध्यम से अब तक अयोध्या में 1.2 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल चुका है।
कुल मिलाकर, अयोध्या की अर्थव्यवस्था में धार्मिकता और आधुनिकता का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। यह शहर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि एक आर्थिक ऊर्जा केंद्र के रूप में भी उभर चुका है, जो आने वाले वर्षों में भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक ताकत का प्रतीक बनेगा।