जिसकी कलेक्ट्री में धराशायी हुए आजम खां...
अब उन्हीं की अदालत से मिली ये बड़ी राहत, जानिए पूरा मामला
2 months ago
Written By: विनय के.सिंह
Azam Khan Relief Case: सपा सरकार में कद्दावर मंत्री रहे आज़म खान को इस बार एक मामले में राहत मिली है। वह भी उस अधिकारी की अदालत से, जो आज़म खान का धुर विरोधी माना जाता है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं मुरादाबाद के मंडलायुक्त वरिष्ठ आईएएस आंजनेय सिंह की, जिनकी कलेक्ट्री में आज़म खान की पूरी राजनीति धराशायी हो गई थी।
20 करोड़ का लगा था जुर्माना
इस बार आज़म खान को राहत खुद उन्हीं आंजनेय कुमार सिंह ने दी है। आज़म खान की मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट पर रामपुर के सहायक श्रमायुक्त की अदालत ने बिल्डिंग एंड अदर्स कंस्ट्रक्शन वेलफेयर सेस एक्ट-1996 की धारा 11 के अंतर्गत 28.09.2018 को जो 20 करोड़ रुपये के सेस का जुर्माना लगाया था, उसके खिलाफ आज़म खान ने मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह की अदालत में अपील की थी।
आदेश निरस्त, मिली राहत
इस केस की सुनवाई करते हुए 24 अप्रैल 2025 को न्यायालय आयुक्त, मुरादाबाद मंडल आंजनेय कुमार सिंह की अदालत ने रामपुर के सहायक श्रमायुक्त के आदेश को निरस्त कर आज़म खान को राहत दी है। इस तरह मुरादाबाद मंडल के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने खुद इस मामले में आज़म खान की अपील को सही मानते हुए रामपुर के सहायक श्रमायुक्त की अदालत के दिनांक 28.09.2018 के आदेश को मनमाना और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत बताते हुए निरस्त किया। साथ ही, रामपुर के सहायक श्रमायुक्त को निर्देश दिया है कि आदेश में की गई विवेचना के आधार पर पक्षों को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर देते हुए गुण-दोष के आधार पर पुनः आदेश पारित करना सुनिश्चित करें।
श्रम सेस का निर्धारण गलत हुआ: अदालत
अदालत ने माना कि पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य व आख्याओं का अवलोकन किए बिना श्रम सेस का जो निर्धारण किया गया है, वह पूर्ण रूप से गलत है और अधिनियम में दिए गए प्रावधानों के विपरीत है। आज़म खान के अधिवक्ता का कहना था कि मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय, रामपुर एक पंजीकृत संस्था है, जो रजिस्ट्रार फर्म्स, सोसाइटीज़ एवं चिट्स, लखनऊ के कार्यालय में पंजीकृत है। इस संस्था का नवीनीकरण भी हो चुका है और संस्था का मुख्य उद्देश्य शिक्षा व सामाजिक कल्याण है।