कागज़ों के मदरसा शिक्षक की सच्चाई: ब्रिटेन में रहकर विदेशी नेटवर्क से रिश्ता,
सरकार ने कार्रवाई शुरू की
1 months ago Written By: Aniket Prajapati
उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसा शिक्षक मौलाना शमशुल हुदा खान के खिलाफ बड़ा खुलासा हुआ है। दावे के मुताबिक़ वह 2007 से 2017 तक सरकारी वेतन लेते रहे जबकि असलियत यह है कि यह अवधि में वह ब्रिटेन में रहकर धार्मिक गतिविधियाँ कर रहे थे और 2013 में ब्रिटीश नागरिकता हासिल कर ली थी। राज्य सरकार की जांच में यह भी कहा गया है कि हुडा पाकिस्तान स्थित धार्मिक नेटवर्क से भी जुड़े रहे और विदेशी फंडिंग के ज़रिए कुछ संस्थानों को संचालित किया गया। अब यूपी सरकार ने छह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और कई एफआईआर दर्ज करवा दी हैं; एसआईटी और ईडी जांच की सिफारिश भी की गई है।
कागज़ों पर शिक्षक, हक़ीक़त में विदेश में सक्रिय रिपोर्ट के अनुसार हुडा 1984 में मदरसे में सहायक शिक्षक बने थे। 2007 में वे भारत छोड़कर ब्रिटेन चले गए और 2013 में ब्रिटिश नागरिकता ले ली। 2007–2017 के बीच उन्होंने आधिकारिक तौर पर 16 लाख रुपये वेतन प्राप्त किया। इस अवधि में वह भारत में नहीं रहे पर सरकारी लाभ लेते रहे और बाद में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर सारे फायदे समाप्त किए।
जांच में क्या मिला — ATS और विभागीय निष्कर्ष एटीएस की 25 मार्च 2025 वाली रिपोर्ट में दावा किया गया कि हुडा पाकिस्तान के लाहौर, कराची और रावलपिंडी जैसे शहरों में गए और वहां के मौलवियों व संगठनों से जुड़े रहे। रिपोर्ट में ऑनलाइन भाषणों, मदरसों में अनियमित विदेशी फंडिंग और दान के स्रोत छुपाने की बातें बताई गईं। कहा गया है कि 2017 में हुडा ने कहीं मदरसा व दो NGO स्थापित किए, जिनमें विदेशी फंडिंग का उपयोग होने का संदेह है।
सरकारी कार्रवाई और आगे की प्रक्रिया यूपी सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के चार वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया है, जिन्हें मिलीभगत के आरोप हैं। हुडा के खिलाफ धोखाधड़ी और विदेशी मुद्रा नियम (FEMA) के उल्लंघन के तहत FIR दर्ज की गई है। एसआईटी गठित कर दस्तावेजों व विदेश यात्राओं की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस ने ईडी जांच की भी सिफारिश की है। साथ ही आज़मगढ़ व संत कबीर नगर में संबंधित अन्य मामले दर्ज हैं।
क्या कहना है प्रशासन का जांच अधिकारी बताते हैं कि मामले की गहराई से पड़ताल की जा रही है। विदेशी फंडिंग के स्रोत और मदरसों के प्रबंधन से जुड़े रिकॉर्ड को शीघ्र खंगाला जा रहा है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी ने नियमों का दुरुपयोग किया है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।