बदायूं जिला महिला अस्पताल में प्रसव पीड़ा की दर्दनाक घटना,
नवजात शिशु की मौत
5 days ago
Written By: अनिकेत प्रजापति
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए एक दर्दनाक घटना सामने आई है। जिला महिला अस्पताल में प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवती महिला सविता की डिलीवरी अस्पताल के गेट पर ही हो गई। करीब आधे घंटे तक दर्द में कराहती महिला को समय पर इलाज नहीं मिला और नवजात शिशु की मौत हो गई। इस घटना की तस्वीरें और वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) शोभा अग्रवाल ने जांच का आश्वासन दिया है।
घटना की पूरी जानकारी
मिली जानकारी के अनुसार, सविता मंगलवार रात प्रसव पीड़ा शुरू होने पर परिजनों ने आशा वर्कर को सूचना दी। आरोप है कि आशा समय पर नहीं पहुंची। काफी देर बाद महिला को सरकारी एंबुलेंस की बजाय ई-रिक्शा से अस्पताल लाया गया। जैसे ही महिला अस्पताल के गेट पर पहुंची, प्रसव पीड़ा बढ़ने के कारण गिर पड़ी और आधे बच्चे के जन्म के बाद भी स्टाफ नहीं पहुंचा। हंगामा होने पर महिला को अंदर भर्ती किया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने नवजात को मृत घोषित किया।
पति और प्रसूता ने लगाया गंभीर आरोप
सविता के पति सूरज ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना है कि समय पर इलाज मिलने पर बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। प्रसूता सविता ने भी बताया कि ई-रिक्शा से लाने के बावजूद गेट पर कराहती रही, और स्टाफ ने मदद नहीं की।
आशा वर्कर और अस्पताल स्टाफ की प्रथम दृष्टया लापरवाही
प्रथम दृष्टया आशा वर्कर की लापरवाही सामने आई है। यदि सरकारी एंबुलेंस समय पर उपलब्ध होती और अस्पताल स्टाफ सक्रिय रहता, तो यह हादसा टल सकता था। सवाल यह भी है कि आधे घंटे तक अस्पताल में मौजूद स्टाफ ने महिला को क्यों नहीं देखा।
जांच के आदेश
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक शोभा अग्रवाल ने मामले की जांच का आदेश दिया है। दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। यह घटना ऐसे समय सामने आई है, जब प्रदेश सरकार गर्भवती महिलाओं के लिए मुफ्त एंबुलेंस और संस्थागत प्रसव की योजनाओं का दावा कर रही है।