सनातन हिंदू एकता पदयात्रा का भव्य समापन,
बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने दिए सात संकल्प
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: दिल्ली से शुरू होकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई जिलों से गुजरने वाली बागेश्वर धाम पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा रविवार को अपने दसवें और अंतिम दिन भव्य रूप से समाप्त हो गई। यह यात्रा 7 नवंबर से 16 नवंबर तक चली और इसमें लाखों श्रद्धालुओं ने पूरे मन से भाग लिया। दस दिनों तक चली इस यात्रा में हर वर्ग, हर आयु और देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग शामिल हुए। लोगों का उत्साह इतना अधिक था कि कई जगह सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। यात्रा का उद्देश्य धार्मिक जागरूकता, सामाजिक एकता और सनातन संगठन को मजबूत करना था।
10 दिन की यात्रा में मिला देशभर का समर्थन पदयात्रा के अंतिम दिन पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि इस यात्रा ने दिखा दिया है कि सनातन समाज पूरी तरह एकजुट है। उन्होंने बताया कि करोड़ों लोगों ने एक स्वर में सनातन धर्म के लिए खड़े होने का संदेश दिया है। शास्त्री जी ने कहा कि यह यात्रा किसी एक समुदाय की नहीं, बल्कि पूरे समाज की भागीदारी का उदाहरण बनी। उन्होंने कहा कि अमीर-गरीब, साधु-संत और आम जन सभी वर्गों के लोग इस यात्रा में साथ रहे। यही सनातन धर्म की सबसे बड़ी शक्ति है।
ब्रज में शराब-मांस बंदी की चर्चा को बताया शुभ संकेत अपने संबोधन में पंडित शास्त्री ने ब्रज की पवित्रता का जिक्र करते हुए कहा कि ब्रज में मांस-मदिरा बंदी की चर्चा शुरू होना स्वयं में शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि सनातनी दंगे के पक्ष में नहीं, बल्कि शांति और प्रेम के पक्षधर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब यात्राओं पर पत्थर नहीं, बल्कि फूल बरसेंगे।
दिल्ली, हरियाणा और यूपी में मिला ऐतिहासिक स्वागत 7 नवंबर को दिल्ली में ‘जय श्रीराम’ के नारों के साथ यात्रा की शुरुआत हुई। पहले ही दिन हजारों की भीड़ जुटी। दूसरे से छठे दिन यात्रा हरियाणा में रही, जहां 82 किलोमीटर के मार्ग पर जगह-जगह लोगों ने फूल बरसाकर स्वागत किया। अस्वस्थ होने के बावजूद पंडित शास्त्री लगातार पदयात्रा में चलते रहे, जिससे श्रद्धालुओं का जोश दोगुना हो गया। आठवें दिन यात्रा कोसी कला पहुंची, जहां लोगों ने आरती की थालियों से स्वागत किया। नौवें दिन बारिश और बुखार होने पर भी पंडित शास्त्री ने यात्रा नहीं छोड़ी। अंतिम दिन यात्रा वृंदावन पहुंची और चारधाम मंदिर परिसर में अंतिम आरती के साथ इसका समापन हुआ।