यहां दशहरे पर नहीं जलता रावण का पुतला, पूरा गांव मानता है पूर्वज,
जानें बागपत के इस रहस्य की कहानी
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Prades News: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले का बड़ा गांव एक अनोखी परंपरा और आस्था के लिए पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। जहां देशभर में दशहरे पर रावण का पुतला दहन किया जाता है, वहीं इस गांव में रावण को पूर्वज मानकर सम्मान दिया जाता है। यहां रावण दहन का नाम सुनते ही लोग आक्रोशित हो जाते हैं। गांव में स्थित प्राचीन मनसा देवी मंदिर के कारण यहां रावण की पूजा और श्रद्धा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि कभी लंका पति रावण इसी गांव में आए थे और तब से इस परंपरा की शुरुआत हुई।
मनसा देवी मंदिर और रावण की कथा बागपत जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित बड़ा गांव की आबादी पांच हजार से अधिक है। यहां का प्राचीन मनसा देवी मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि रावण माता मनसा देवी को शक्ति स्वरूप हिमालय से लंका ले जा रहे थे। रावण को वरदान था कि वह इस शक्ति को तभी तक उठा सकते हैं, जब तक रास्ते में कहीं उन्हें नीचे नहीं रखा जाए। लेकिन जब वे बड़ा गांव पहुंचे और लघु शंका के लिए रुके, तो उन्होंने शक्ति स्वरूप माता को एक ग्वाले को पकड़ा दिया।
ग्वाले की गलती और मंदिर की स्थापना रावण की गैरमौजूदगी में ग्वाले ने माता को नीचे रख दिया। वरदान के अनुसार माता की वही पर स्थापना हो गई। मजबूर होकर रावण ने यहां मनसा देवी मंदिर का निर्माण कराया। तभी से यह स्थान भक्तों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र बन गया। कहा जाता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
रावण को मानते हैं पूर्वज इस ऐतिहासिक घटना के कारण बड़ा गांव के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं। यही वजह है कि दशहरे पर यहां कभी रावण दहन नहीं होता। गांव का इतिहास और परंपरा इसी मंदिर से जुड़ी हुई है। यहां हर साल देश-विदेश से लाखों भक्त पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं।