यूपी का वो गांव जहां रावण की होती है पूजा, रामलीला और रावण दहन नहीं…
जानिए पीछे की कहानी
23 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: दशहरा का पर्व पूरे देश में बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन आमतौर पर रावण के पुतले जलाए जाते हैं और रामलीला का आयोजन किया जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ागांव में दशहरे का उत्सव पूरी तरह अलग है। यहां रावण को देवता माना जाता है और उसकी पूजा की जाती है। इस गांव में न तो रामलीला होती है और न ही रावण दहन। बड़ागांव को लोग रावण गांव के नाम से भी जानते हैं।
रावण और मां मनसा देवी की पौराणिक कथा गांववालों का मानना है कि मां मनसा देवी स्वयं रावण की वजह से बड़ागांव में विराजमान हुईं। पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में रावण मां मनसा देवी को हिमालय से लंका ले जाना चाहता था। रास्ते में बड़ागांव पहुंचने पर एक ग्वाले को देवी का शक्तिपुंज सौंपा। ग्वाला उसे संभाल नहीं पाया और शक्तिपुंज जमीन पर रख दिया। तभी देवी ने यहीं विराजमान होने का संकल्प लिया। इस पौराणिक घटना के कारण बड़ागांव रावण और मनसा देवी से जुड़ा पवित्र स्थल बन गया।
बड़ागांव में दशहरे की अनोखी परंपरा बड़ागांव के लोग दशहरे पर रावण का अपमान नहीं करते। इसके बजाय आटे से प्रतीकात्मक रावण बनाकर उसकी पूजा की जाती है। उनका मानना है कि रावण केवल लंका का राजा ही नहीं, बल्कि एक महान पंडित और उनके वंशज भी थे। इसलिए रावण को अपमानित करना पाप माना जाता है।
रावण कुंड और प्राचीन मंदिर गांव में मौजूद रावण कुंड और प्राचीन मंदिर यह साबित करते हैं कि यह स्थल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी गांव के लोग रावण की स्मृति को संजोए हुए हैं। राजस्व रिकॉर्ड में भी गांव का नाम रावण उर्फ बड़ागांव दर्ज है। मंदिरों, मूर्तियों और रावण कुंड जैसे अवशेष इस आस्था को और प्रामाणिक बनाते हैं।