बहराइच में फिर शुरू हुआ आदमखोर का आतंक,
मां की गोद से मासूम को उठा ले गया भेड़िया
6 days ago
Written By: STATE DESK
Wolf Attack Bahraich: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक बार फिर भेड़िये का आतंक शुरू हो गया है। यहां आठ महीने की शांति के बाद महसी तहसील के गढ़ीपुरवा गांव में एक भेड़िये ने दो साल के मासूम आयुष को उसकी मां की गोद से छीन लिया और उसकी जान ले ली है। वहीं गांव में हुई इस घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल कायम है। साथ ही ग्रामीणों ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगते हुए नाराजगी भी जाहिर की है।
माँ के आंचल से छीन ले गया मासूम
मिली जानकारी के मुताबिक, ये घटना सोमवार देर रात करीब 12 बजे की है। जब खुशबू देवी अपने बेटे आयुष को लेकर चारपाई पर सो रही थीं। तभी अचानक एक भेड़िया घर में घुस आया और बच्चे को जबड़ों में दबाकर खेतों की ओर भाग गया। जिसके बाद खुशबू देवी की नींद बेटे की चीख से टूटी। तब उन्होंने शोर मचाते हुए पीछा किया, लेकिन अंधेरे और गन्ने के खेतों की वजह से भेड़िया पकड़ में नहीं आया।
गांव वालों और परिजनों ने रातभर टॉर्च लेकर खेतों और जंगलों में खोजबीन की। सुबह करीब पांच बजे बच्चे का शव गन्ने के खेत में मिला। शव की हालत बेहद दर्दनाक थी—भेड़िये ने दोनों हाथ और एक पैर खा लिया था। बेटे की लाश देखकर खुशबू देवी बेहोश हो गईं। पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन वन विभाग की टीम अभी तक गांव नहीं पहुंची है, जिससे ग्रामीणों में रोष है।
पिछले दो सालों से जारी है आतंक
गांव के बुजुर्गों के अनुसार, गढ़ीपुरवा और आसपास के इलाकों में पिछले दो वर्षों से भेड़िये का आतंक बना हुआ है। अब तक करीब दस बच्चों और दो युवकों की जान जा चुकी है। अगस्त-सितंबर 2023 में भेड़ियों के हमलों ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया था। मामला विधानसभा में उठा, तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी हस्तक्षेप करना पड़ा था। उन्होंने आदेश दिया था कि अगर भेड़िया हमला करता दिखे तो उसे गोली मार दी जाए। इसके बाद 6 अक्टूबर को एक लंगड़ा भेड़िया मारा गया था, और हमले रुक गए थे।
वन विभाग की लापरवाही से नाराज़ ग्रामीण
अब एक बार फिर गांव में भेड़िये की वापसी से दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा। उन्होंने मांग की है कि विभाग तत्काल कार्रवाई करते हुए भेड़िये को पकड़ने का अभियान शुरू करे।
फिलहाल गांव के लोग रात होते ही दरवाजे बंद करके डर के साये में जी रहे हैं। वे अपने बच्चों को घर से बाहर भेजने से भी डर रहे हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन और वन विभाग कब तक जागता है और इस डर को खत्म करता है।