वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में सालभर बाद हुई आधी रात की मंगला आरती,
जानें क्यों है इतनी खास
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: वृंदावन का प्रसिद्ध ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर जन्माष्टमी के अवसर पर भक्तिमय रंग में डूबा रहा। इस खास दिन मंदिर में सालभर में केवल एक बार होने वाली विशेष मंगला आरती का आयोजन मध्यरात्रि 1:55 बजे किया गया। प्रशासनिक आदेशों के चलते इस आरती में सीमित संख्या में ही श्रद्धालुओं को शामिल होने की अनुमति दी गई। इसके बावजूद सुबह से ही मंदिर परिसर में देशभर से आए भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। दिनभर मंदिर में ठाकुरजी के जन्मोत्सव की धूम मची रही और भक्त जयकारों व भजनों में डूबे नजर आए।
भक्तों का उमड़ा सैलाब
सुबह से देर रात तक ठाकुरजी के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। मंदिर परिसर लल्ला के जन्म का हल्ला और नंद घर आनंद भये, जय कन्हैया लाल की जैसे भजनों से गूंजता रहा। भक्त परस्पर एक-दूसरे को बधाई और उपहार देकर अपनी खुशी साझा कर रहे थे। माहौल ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो हर किसी के घर स्वयं सांवरे सलोने का जन्म हुआ हो।
क्यों नहीं होती बांकेबिहारी मंदिर में रोज़ मंगला आरती
पौराणिक मान्यता के अनुसार, बांकेबिहारी जी रात में निधिवन के राज मंदिर में गोपियों संग रास रचाने जाते हैं। इसके बाद वे रात के तीसरे पहर मंदिर लौटते हैं। चूंकि यहां ठाकुरजी की सेवा बाल स्वरूप में होती है, इसलिए उन्हें सुबह देर से जगाया जाता है। यही कारण है कि बांकेबिहारी मंदिर में सामान्य दिनों में मंगला आरती नहीं होती। यहां दिन की शुरुआत ठाकुरजी के श्रृंगार से होती है और आरती भी श्रृंगार आरती से ही प्रारंभ होती है।
जन्माष्टमी पर मंगला आरती का महत्व
जन्माष्टमी के दिन ठाकुर बांकेबिहारी जी का विशेष अभिषेक किया जाता है। रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने के बाद मंगला आरती सम्पन्न होती है। इस दिन ठाकुरजी निधिवन में रास रचाने नहीं जाते और भक्तों को उनके बाल स्वरूप के दर्शन सुबह-सुबह मिलते हैं। जन्माष्टमी की यह मंगला आरती भक्तों के लिए बेहद खास मानी जाती है और इसमें शामिल होने के लिए श्रद्धालु देशभर से वृंदावन पहुंचते हैं।