बाराबंकी में पटाखा फैक्ट्री में भीषण आग, दो की मौत,
गंभीर रूप से झुलसे पांच लोग
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: गुरुवार दोपहर उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण आग लग गई, जिसमें दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पांच लोग गंभीर रूप से झुलस गए। इनमें से चार की हालत नाजुक बताई जा रही है। हादसे के बाद गांव में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई और राहत-बचाव का काम देर शाम तक जारी रहा। इस घटना ने एक बार फिर इलाके में चल रही असुरक्षित पटाखा फैक्ट्रियों के संचालन पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
कहां हुई घटना और कैसे लगा आग हादसा रामसनेहीघाट क्षेत्र के सराय बरई गांव में हुआ। गुरुवार दोपहर अचानक फैक्ट्री से आग और धमाकों की आवाजें आने लगीं। आसपास के लोग मौके पर दौड़े, लेकिन आग की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि कोई पास नहीं जा सका। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई और पांच लोग गंभीर रूप से झुलस गए। घायलों को तुरंत जिला अस्पताल भेजा गया, जहां चार की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।
15 साल में कई बड़े हादसे, फिर भी नहीं सुधर रहे हालात सराय बरई और इसके आसपास का इलाका पिछले 15 वर्षों में कई बड़े पटाखा फैक्ट्री हादसों का गवाह बन चुका है. फिर भी न फैक्ट्री संचालक चेत रहे हैं और न ही प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की है। बता दें कि मई 2013 में इसी क्षेत्र की एक फैक्ट्री में आग लगी थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी। मृतकों में दो किशोर थे और एक शव की पहचान भी नहीं हो सकी थी।
2018 में धारूपुर में भीषण विस्फोट 25 दिसंबर 2018 को धारूपुर गांव में हुए धमाके में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। फैक्ट्री संचालक हसीब ने कागजों पर फैक्ट्री गांव के बाहर दिखा रखी थी, लेकिन असल में पटाखा निर्माण उसके घर के अंदर चलता था। विस्फोट इतना तेज था कि आसपास के मकानों में दरारें पड़ गईं और पांच दिन तक बारूद फटने की आवाजें आती रहीं। इस हादसे में 12 लोग घायल हुए थे।
2023 में फिर हादसा, मालिक की बेटी की मौत हुई दो वर्ष पहले धरौली गांव की लाइसेंसी फैक्ट्री में विस्फोट में मालिक की 18 वर्षीय बेटी गंभीर रूप से झुलस गई थी। इलाज के दौरान उसने लखनऊ में दम तोड़ दिया था।
फिर वही लापरवाही ताज़ा हादसा इस बात की ओर इशारा करता है कि अवैध या असुरक्षित तरीके से चल रही पटाखा फैक्ट्रियों पर अभी तक प्रभावी रोक नहीं लगाई जा सकी है। ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्रियां अक्सर आबादी के बीच चलाई जाती हैं, जिससे छोटे हादसे भी बड़ी त्रासदी में बदल जाते हैं। लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि सभी अवैध फैक्ट्रियों की जांच की जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।