बरेली का अनोखा मामला:
SIR ने 25 साल बाद वापस लौटे ‘सलीम’ को फिर से बना दिया ‘ओमप्रकाश’
1 months ago Written By: Aniket prajapati
उत्तर प्रदेश समेत देश के 12 राज्यों में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान बरेली से एक अनोखा मामला सामने आया है। नागरिक रजिस्ट्रेशन अपडेट कराने निकले बूथ लेवल अधिकारी (BLO) और सूची में नाम देखने पर पता चला कि 25 साल पहले घर छोड़कर चला गया एक युवक, जो अब सलीम नाम से दिल्ली में रह रहा था, वापस अपने गांव लौट आया है। SIR प्रक्रिया के चलते उसकी असल पहचान उजागर हुई और परिवार ने शुद्धिकरण कराकर उसे फिर से हिंदू नाम ओमप्रकाश स्वीकार करवाया। इस घटना ने गांव और आसपास में चर्चा बटोरी है।
कहानी की शुरुआत — 25 साल पुराना मामला मामला करीब 25 साल पुराना है। शाही इलाके के काशीपुर गांव का रहने वाला वेदराम जब अपने 15 वर्षीय पुत्र ओमप्रकाश को काफी डांट-फटकार में पाया तो वह घर से निकल गया। कुछ समय मजदूरी करने के बाद वह दिल्ली चला गया। वहां रहने के लिए जब पहचान की जरूरत पड़ी तो दिल्ली के उस्मानपुर इलाके के लोगों ने उसका वोटर कार्ड सलीम नाम से बनवाया और पिता का नाम ताहिर हुसैन लिखा गया।
नई पहचान, नया परिवार दिल्ली में सलीम ने शाहरबानो नाम की महिला से निकाह किया। इस वैवाहिक जीवन से उसकी चार बेटियाँ और एक बेटा हुए। तीन बेटियों की शादी भी हो गयी और घर-गृहस्थी चल रही थी। परिवार और सामाजिक जीवन के साथ-साथ उसने दिल्ली में नई पहचान से आगे की ज़िंदगी बिता ली।
SIR प्रक्रिया और घर लौटना जब SIR की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश में शुरू हुई तो सलीम ने सोचा कि दिल्ली में उसका पुराना रिकॉर्ड कैसे साबित करेगा। इस डर के कारण वह अंततः अपने 15 वर्षीय पुत्र जुम्मन और बड़ी बहन के साथ अपने गांव लौट आया। गांव में लोगों और परिवार ने 25 साल बाद उनका स्वागत किया।
परिवारिक शुद्धिकरण और फिर से ओमप्रकाश परिवार को जब पता चला कि उनका खोया बेटा इस्लाम अपना कर सलीम बन गया है तो परिवार ने परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार शुद्धिकरण कराकर उसे फिर से हिंदू नाम ओमप्रकाश के रूप में स्वीकार कर लिया। अब वह परिवार को बरेली बुलाकर गांव में ही अपनी बाकी ज़िन्दगी बिताने की योजना बना रहा है।
क्या सिखाती है यह घटना? यह मामला बताता है कि SIR जैसी जन गणना और पुनरीक्षण प्रक्रियाएँ न केवल वोटर सूची अपडेट करती हैं बल्कि लंबी छुट्टी पर रहे लोगों की पहचान और पारिवारिक दास्तान भी सामने ला सकती हैं। प्रशासन और स्थानीय समुदाय मिलकर ऐसे मामलों को सुलझाने में मदद करते हैं।