बंगाल में 6 दिसंबर को नई मस्जिद की घोषणा पर विवाद तेज,
अयोध्या के संतों ने जताया कड़ा विरोध
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव और एसआईआर प्रक्रिया को देखते हुए पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। इसी बीच तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने मुस्लिम मतदाताओं को साधने के लिए बड़ी घोषणा की है। टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने कहा है कि 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में ‘नई बाबरी मस्जिद’ की आधारशिला रखी जाएगी। यह वही तारीख है, जिस दिन अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था। मुर्शिदाबाद में करीब 75% मुस्लिम आबादी है और टीएमसी यहां हर साल 6 दिसंबर को ‘सहिष्णुता दिवस’ मनाती है। इस बार पार्टी कोलकाता में भी बड़ी रैली की तैयारी कर रही है।
नई मस्जिद की घोषणा पर संतों की तीखी प्रतिक्रिया हुमायूं कबीर की घोषणा के बाद अयोध्या के कई संतों ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि ‘बाबरी’ नाम का इस्तेमाल गलत है और इससे पुराने विवाद फिर से उभर सकते हैं। संतों का आरोप है कि ऐसे कदम समाज में तनाव बढ़ाते हैं और चुनावी माहौल में जानबूझकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। संतों ने यह भी कहा कि यह घोषणा मुगलकाल की याद ताजा करने वाली है, जबकि न तो अब मुगल सल्तनत है और न औरंगज़ेब का समय। उन्होंने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है—खासकर कार्यक्रम की फंडिंग और भीड़ जुटाने के तरीके पर।
संत समाज ने उठाई कड़ी कार्रवाई की मांग अयोध्या के संतों ने कहा कि अगर इस तरह के बयान दिए गए तो ममता बनर्जी की सरकार भी संकट में आ सकती है। कई संतों ने हुमायूं कबीर पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की है। उनका कहना है कि बाबर के नाम पर कहीं भी मस्जिद बनाना स्वीकार नहीं किया जाएगा। कुछ संतों ने हुमायूं कबीर को “बाबर और औरंगज़ेब की औलाद” जैसे आरोपों से भी घेरा और कहा कि ऐसे लोगों को पाकिस्तान जैसे देशों में भेज देना चाहिए। संत समाज का कहना है कि हिंदुस्तान राम और कृष्ण की भूमि है और देश-विरोधी बयान बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
“33 साल बाद घड़ियाली आंसू” – विनोद बंसल का आरोप विहिप से जुड़े विनोद बंसल ने कहा कि टीएमसी इस मुद्दे को चुनावी फायदा लेने के लिए उठा रही है। उन्होंने दावा किया कि ममता बनर्जी कई सालों तक इस मुद्दे को दबाकर रखती थीं, लेकिन अब वोट बैंक मजबूत करने के लिए 33 साल बाद बाबरी का मुद्दा फिर उछाला जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि ममता का बाबरी या बाबर से क्या रिश्ता है और क्यों टीएमसी से जुड़े नेता इस नाम पर राजनीति कर रहे हैं।
“बाबर के नाम पर मस्जिद नहीं बनने देंगे” संत समाज ने साफ कहा है कि बाबर के नाम पर किसी भी जगह नई मस्जिद नहीं बनने दी जाएगी। उनका कहना है कि 90 के दशक में पूरा हिंदू समाज “मंदिर वहीं, मस्जिद नहीं, और बाबरी कहीं नहीं” के नारे के साथ खड़ा था, और आज भी वही स्थिति कायम है। फिलहाल, हुमायूं कबीर की घोषणा और उस पर उठे सवालों के बाद बंगाल की राजनीति और ज्यादा गर्म हो गई है।