काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में पक्षपात ?
इतिहासकार ने पत्र लिखकर उठाए सवाल
1 days ago
Written By: STATE DESK
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के BA प्रथम सेमेस्टर के इतिहास पाठ्यक्रम को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। विश्वविद्यालय से जुड़े वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने पाठ्यक्रम में संतुलन की कमी का आरोप लगाते हुए विभागाध्यक्ष को पत्र लिखा है। उनका दावा है कि इस पाठ्यक्रम में मुगल शासकों का अत्यधिक महिमामंडन किया गया है, जबकि राजपूत, मराठा और सतनामी शासकों का नाम मात्र का उल्लेख है।
मुगलों के महिमामंडन के आरोप
रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ. श्रीवास्तव का कहना है कि, प्रथम सेमेस्टर की चार यूनिट्स में मुगलों के शासन पर ज़्यादा जोर दिया गया है, जबकि पहले सभी शासकों के शासनकाल को समान रूप से शामिल किया जाता था। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की एकतरफा जानकारी से छात्रों को संतुलित ऐतिहासिक दृष्टिकोण नहीं मिल पाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि विभागाध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि, आने वाले दूसरे और आगे के सेमेस्टर में मराठा, राजपूत और सतनामी शासकों के इतिहास को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही, यह भी सिखाया जाएगा कि किस तरह से विभिन्न शासकों द्वारा धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक विरासतों को प्रभावित किया गया।
केवल एक पक्ष की न दें जानकारी
डॉ. श्रीवास्तव ने पत्रकारों से बातचीत में यह भी कहा कि, यह आवश्यक है कि, छात्रों को केवल एक पक्ष का इतिहास नहीं बल्कि सभी दृष्टिकोणों से जानकारी दी जाए। उनका कहना है कि, "अपने पूर्वजों के बारे में जानना ही हर समस्या का समाधान है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि देश में ऐतिहासिक विवादों को खत्म करना है, तो सभी वर्गों और समुदायों के पूर्वजों और उनकी परंपराओं की जानकारी देना बेहद जरूरी है।
इस बयान ने शैक्षणिक हलकों में नई बहस को जन्म दे दिया है कि, क्या विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में सभी ऐतिहासिक शासकों को बराबरी से स्थान मिलना चाहिए या किसी विशेष कालखंड पर विशेष ध्यान देना ठीक है। हलांकि, BHU प्रशासन की ओर से फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह मुद्दा छात्रों, शिक्षकों और इतिहास के जानकारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।