ज़िंदगी की जंग हार रहे बीएलओ:
दबाव, कड़ाई और मौत का बढ़ता सिलसिला
1 months ago Written By: संदीप शुक्ला
देश के कई राज्यों में इस समय एसआईआर (स्पेशल समरी रिवीजन) की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है। मतदाता सूची के काम में लगे बीएलओ, स्कूलों के संविदाकर्मी और लेखपाल भारी दबाव में काम कर रहे हैं। सीमित समय, लगातार फील्ड विज़िट और अधिकारियों की फटकार ने कई कर्मचारियों को मानसिक रूप से तोड़ दिया है। हालात इतने खराब हैं कि अब तक देश में दर्जनभर से ज्यादा बीएलओ अपनी जान दे चुके हैं। फतेहपुर के बिंदकी क्षेत्र में 25 वर्षीय लेखपाल सुधीर कुमार कोरी की आत्महत्या इस बढ़ती समस्या की दर्दनाक गवाह बन गई है।
एसआईआर का दबाव: फील्ड में जूझ रहे बीएलओ देश के करीब एक दर्जन राज्यों में एसआईआर का काम चल रहा है। बीएलओ लगातार मतदाताओं के घर-घर जाकर फॉर्म भरवा रहे हैं, लेकिन कम समय की वजह से उन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं मतदाता घर पर नहीं मिल रहे, तो कहीं दस्तावेज़ पूरे नहीं मिल पा रहे। ऊपर से अधिकारियों की सख्त निगरानी और लापरवाही पर फटकार ने हालात और मुश्किल कर दिए हैं। स्कूलों में कार्यरत संविदाकर्मी और लेखपालों पर काम का बोझ सबसे ज्यादा डाला गया है। इसी दबाव की वजह से कई बीएलओ दम तोड़ चुके हैं।
सुधीर की मौत से हिल गया फतेहपुर बिंदकी कोतवाली क्षेत्र के खजुआ कस्बे में रहने वाले 25 वर्षीय लेखपाल सुधीर कुमार कोरी ने अपनी शादी से सिर्फ एक दिन पहले फांसी लगाकर जान दे दी। परिजनों का कहना है कि सुधीर लगातार दबाव में था। एसआईआर का काम, अधिकारियों की कड़ाई और छुट्टी ना देने की वजह से उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ती जा रही थी। आरोप ये भी है कि खुदकुशी से एक दिन पहले कानूनगो ने उसे भला-बुरा कहा था। परिवार का दावा है कि अधिकारियों के दबाव और अपमान के कारण ही सुधीर ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया।
बढ़ती खुदकुशी ने बढ़ाई चिंता देश में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और सरकारी कर्मचारियों में यह संख्या कम नहीं है। बीएलओ और फील्ड में काम करने वाले कर्मचारियों की मौतों ने इस मुद्दे पर बहस तेज कर दी है। सुधीर की मौत के बाद विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि कई राजनीतिक दलों के नेता उनके घर पहुंचकर परिजनों से मुलाकात कर रहे हैं।