बाराबंकी में बड़ा खुलासा: ड्रग एसोसिएशन अध्यक्ष और दवा व्यापारी गिरफ्तार,
CBN इंस्पेक्टरों के रिश्वत कांड से जुड़ा मामला
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: लखनऊ की सीबीआई एंटी करप्शन ब्रांच ने नशीली दवाओं के काले कारोबार और रिश्वतखोरी के मामले में एक और बड़ी कार्रवाई की है। गुरुवार को टीम ने बाराबंकी ड्रग एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष संतोष जायसवाल और दवा दुकान संचालक सुनील जायसवाल को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले मंगलवार को सीबीआई ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (CBN) के तीन इंस्पेक्टर महिपाल सिंह, रवि रंजन और आदर्श नेगी के साथ देवा नर्सिंग होम के संचालक गयासुद्दीन अहमद को भी दबोच लिया था। इस कार्रवाई के बाद सीबीएन ने इंस्पेक्टर महिपाल को सेवा से बर्खास्त कर दिया, जबकि दो अन्य को निलंबित कर दिया गया।
रिश्वत और दबाव का खेल
मामले की शुरुआत तब हुई जब इंस्पेक्टर महिपाल पिछले एक महीने से गयासुद्दीन अहमद पर रिश्वत देने का दबाव बना रहा था। आखिरकार मंगलवार को गयासुद्दीन 10 लाख रुपये लेकर महिपाल और उसके साथियों के पास पहुंचा। उसी दौरान सीबीआई ने दबिश देकर इंस्पेक्टर महिपाल, रवि रंजन, आदर्श नेगी और गयासुद्दीन को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई की एफआईआर में गयासुद्दीन का बेटा काकुब और दवा विक्रेता सुनील जायसवाल भी पहले से नामजद थे। अब संतोष जायसवाल की गिरफ्तारी के साथ मामले की कड़ियां और गहरी होती जा रही हैं।
नशीली दवाओं का काला कारोबार
सीबीआई की जांच से पता चला है कि दवा विक्रेताओं के जरिए नशीली दवाओं का कारोबार तेजी से फैल रहा है। सूत्रों का कहना है कि मॉर्फीन के विकल्प के रूप में प्रयोग होने वाली इन दवाओं की खपत इतनी ज्यादा है कि हर महीने 25 करोड़ रुपये से अधिक की नशीली दवाएं मेडिकल स्टोरों के जरिए बेची जा रही हैं। औषधि विभाग और अन्य एजेंसियों की कार्रवाई ज्यादातर कागजों तक सीमित रह जाती है, जिससे यह नेटवर्क लगातार मजबूत होता जा रहा है।
पुरानी घटनाओं पर भी उठे सवाल
यह पहली बार नहीं है जब नशीली दवाओं का बड़ा नेटवर्क पकड़ में आया हो। करीब सात महीने पहले भी ड्रग इंस्पेक्टर ने वेगमगंज के एक मेडिकल स्टोर से भारी मात्रा में नशीली दवाएं बरामद की थीं। इसी तरह मार्च 2024 में औषधि विभाग ने नबीगंज रोड पर एक हाफ डाला पकड़ा था, जिसमें कोडिन सीरप की बड़ी खेप मिली थी। कागजातों में इसे सीतापुर की फर्जी फर्मों के नाम दिखाया गया था, लेकिन उस मामले में सिर्फ चालक पर ही कार्रवाई हुई। तत्कालीन एसपी दिनेश सिंह ने उस समय कहा था कि सीरप असली है, इसलिए एनडीपीएस एक्ट का मामला नहीं बनता।