चारबाग: लखनऊ का वह ऐतिहासिक बाग और रेलवे स्टेशन,
जो नवाबी गौरव की कहानी कहता है
2 days ago Written By: Aniket Prajapati
लखनऊ और नवाब ये दोनों शब्द एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसी विरासत भर शहर का एक चिरपरिचित नाम है चारबाग। यह सिर्फ रेलवे स्टेशन का नाम नहीं, बल्कि लखनऊ के नवाबी अतीत और सांस्कृतिक पहचान का जीवंत प्रतीक है। चारबाग का इतिहास नवाब आसफुद्दौला से जुड़ा है जिन्होंने 1775 में फैजाबाद से लखनऊ को राजधानी बनाया और यहाँ ‘चहार बाग’ बनवाया। बाद में यह जगह 1857 के उग्र संग्राम का भी साक्षी बनी और अंग्रेजों ने यहाँ भव्य रेलवे स्टेशन का निर्माण कराया। चारबाग का हर कोना लखनऊ की कहानियाँ और यादें समेटे हुए है।
चारबाग की शुरुआत और नवाबी पहचान पुराने समय में इस इलाके को चहार बाग कहा जाता था। अवध के चौथे नवाब आसफुद्दौला का यह पसंदीदा बाग था। इस्लामी वास्तुकला में चहारबाग का आधार स्वर्ग के चार हिस्सों से प्रेरित है, चार बराबर हिस्से और बीच में जल स्रोत या भवन। चारबाग भी छोटे-छोटे नहरों और रास्तों से चार हिस्सों में बँटा होता था और बीच में एक ईरानी शैली का भवन था। यह परंपरा ताजमहल और हुमायूँ के मकबरे जैसे स्थानों पर भी दिखाई देती है।
1857 की लड़ाई और चारबाग का विस्तार चारबाग का विस्तार हैदर कैनाल तक फैला हुआ था और चारों ओर चारदीवारी थी। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय यहाँ कई लड़ाइयाँ हुईं और बाग ने उस इतिहास को करीब से देखा। नवाबी दौर के पतन के बाद अंग्रेजों ने इस जगह को परिवर्तित करने का निर्णय लिया।
रेलवे स्टेशन की स्थापना और गांधी-नेहरू की पहली बातचीत
अंग्रेजों ने मोहम्मदबाग और आलमबाग के बीच रेलवे लाइन बिछाने के लिए चारबाग-चारमहल के नवाबों को मुआवजा दिया। 21 मार्च 1914 को बिशप जॉर्ज हरबर्ट ने चारबाग रेलवे स्टेशन की नींव रखी। आज चारबाग स्टेशन देश के सबसे व्यस्त और खूबसूरत स्टेशनों में से एक है। ऊपर से देखने पर इसकी बनावट शतरंज की बिसात जैसी दिखाई देती है, जो इसकी अद्वितीय स्थापत्य कला को दर्शाती है।
स्मृति और वर्तमान स्वरूप चारबाग का इतिहास केवल इमारतों तक सीमित नहीं। यहीं 26 दिसंबर 1916 को कांग्रेस अधिवेशन के दौरान महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की पहली मुलाकात हुई थी। उस स्थान पर आज एक स्मृति-चिन्ह मौजूद है और वहीं अब स्टेशन की पार्किंग बनी हुई है। चारबाग आज भी लखनऊ की नब्ज़ की तरह धड़कता है, नवाबी तहज़ीब, इमारती शान और राष्ट्रीय इतिहास की यादें लिए।