लॉरेंस विश्नोई ने शाहरुख-सलमान को छोड़ा पीछे,
लगी लाखों की बोली, कटरीना-माधुरी भी देखते रह गई !
4 days ago
Written By: News Desk
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी चित्रकूट में दीपावली के दूसरे दिन से शुरू हुआ ऐतिहासिक गधा मेला इस बार चर्चा का केंद्र बना हुआ है। मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाला यह पांच दिवसीय मेला सदियों पुरानी परंपरा को जीवित रखे हुए है, जहां देशभर से व्यापारी अपने गधे और खच्चर बेचने और खरीदने आते हैं। खास बात यह है कि इन गधों को फिल्मी सितारों के नाम दिए जाते हैं, जैसे शाहरुख, सलमान, कैटरीना और माधुरी।
लॉरेंस विश्नोई नाम के खच्चर ने बटोरी सबसे ज्यादा सुर्खियां
इस बार मेले में सबसे ज्यादा चर्चा ‘लॉरेंस विश्नोई’ नाम के खच्चर की रही, जिसने सभी फिल्मी नाम वाले गधों को पीछे छोड़ दिया। ‘लॉरेंस विश्नोई’ की कीमत बोली के दौरान एक लाख 25 हजार रुपये तक पहुंच गई, जबकि ‘शाहरुख खान’ नाम का गधा 80 हजार रुपये में बिका। मेले में मौजूद लोगों का कहना है कि इस खच्चर की नस्ल और ताकत ने सभी को प्रभावित किया, जिसके चलते इसकी कीमत रिकॉर्ड स्तर तक पहुंची।
मुगल काल से जुड़ा है गधा मेले का इतिहास
चित्रकूट का यह अनोखा मेला मुगल काल से चला आ रहा है। इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब के शासनकाल में इस मेले की शुरुआत हुई थी ताकि सेना के लिए गधे और खच्चर खरीदे जा सकें। तब से यह परंपरा चली आ रही है और हर साल दीपावली के बाद अन्नकूट पर्व के साथ यह मेला आयोजित किया जाता है।
देशभर से आते हैं व्यापारी
इस मेले में न केवल मध्य प्रदेश बल्कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और हरियाणा से भी व्यापारी अपने गधे और खच्चर लेकर आते हैं। कई लोग इसे आस्था और रोजगार दोनों से जोड़ते हैं। इस मेले में पशुओं की नस्ल, आकार, ताकत और रंग के आधार पर कीमत तय होती है, जो कई बार लाखों रुपये तक पहुंच जाती है।
व्यवस्था की कमी से नाराज व्यापारी
ऐतिहासिक महत्व के बावजूद इस साल मेले में अव्यवस्थाओं को लेकर व्यापारियों में भारी आक्रोश देखने को मिला। व्यापारियों ने आरोप लगाया कि नगर परिषद द्वारा न तो पीने के पानी की व्यवस्था की गई है, न छाया की, और न ही सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। यहां तक कि मेले में होमगार्ड तक तैनात नहीं किए गए हैं, जिससे व्यापारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
अवैध वसूली का आरोप और अस्तित्व पर संकट
व्यापारियों का कहना है कि ठेकेदार उनसे प्रति खूंटा 30 रुपये और प्रति जानवर 600 रुपये की एंट्री फीस वसूल रहे हैं, जबकि सुविधाएं नाम मात्र की हैं। व्यापारी इसे अवैध वसूली करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो आने वाले वर्षों में यह ऐतिहासिक मेला अपनी पहचान खो देगा।