उरी हाइड्रो प्रोजेक्ट पर हमला नाकाम,
CISF जवानों की बहादुरी से 250 नागरिकों की सुरक्षा
1 months ago Written By: Aniket prajapati
जम्मू-कश्मीर के उरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान की तरफ से हमला करने की कोशिश ऑपरेशन सिंदूर के कुछ घंटों बाद ही नाकाम हो गई। CISF ने मंगलवार को जानकारी साझा की कि दुश्मन के ड्रोन और गोलीबारी के बावजूद उनकी टीम ने प्रतिष्ठान और आसपास के रिहायशी इलाकों को सुरक्षित रखा। इस अदम्य साहस और तेज़ प्रतिक्रिया के लिए CISF ने 19 जवानों को डायरेक्टर जनरल की डिस्क से सम्मानित किया। इस कार्रवाई में किसी नागरिक को नुकसान नहीं हुआ और करीब 250 लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
ऑपरेशन सिंदूर और खतरे की स्थिति ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना द्वारा 6-7 मई की रात LoC के पार आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए चलाया गया था। इसके जवाब में पाकिस्तान ने LoC के पास प्रतिष्ठानों और रिहायशी इलाकों पर फायरिंग की। उरी हाइड्रो पावर प्लांट LoC से केवल कुछ किलोमीटर दूर होने के कारण गंभीर खतरे में था। CISF की यूनिट्स LoC से 8-10 किलोमीटर की दूरी पर तैनात थीं और उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालते हुए सुरक्षा सुनिश्चित की।
जवानों की बहादुरी और नागरिकों की सुरक्षा कमांडेंट रवि यादव, डिप्टी कमांडेंट मनोहर सिंह और असिस्टेंट कमांडेंट सुभाष कुमार की अगुवाई में CISF टीम ने इंस्टॉलेशन्स और आसपास के घरों को सुरक्षित किया। जवानों ने रीयल-टाइम एनालिसिस करके सुरक्षित जोन पहचाने और घर-घर जाकर नागरिकों को बंकर शेल्टर्स में पहुँचाया। इसमें महिलाएं, बच्चे, NHPC स्टाफ और उनके परिवार शामिल थे। तेज़ और निडर कार्रवाई के चलते लगभग 250 लोगों की जान बचाई गई।
ड्रोन्स को निष्क्रिय किया और प्रतिष्ठानों को सुरक्षित रखा CISF ने दुश्मन के ड्रोन को निष्क्रिय कर हथियारों और स्टॉक को सुरक्षित किया। इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में जवानों ने बहादुरी, शांति और प्रोफेशनलिज्म का अद्भुत प्रदर्शन किया। CISF की स्थापना 10 मार्च 1969 को हुई थी और यह मुख्य रूप से महत्वपूर्ण औद्योगिक और इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टॉलेशन्स, एयरपोर्ट, मेट्रो, स्मारक, एटॉमिक पावर प्लांट और डिफेंस यूनिट्स की सुरक्षा करती है।