कोचिंग तक नहीं, जॉब का प्रेशर अलग, फिर कैसे रचा UPSC में इतिहास?
बिजनौर की DPRO दमनप्रीत ऐसे बन गईं IAS
2 days ago
Written By: आदित्य कुमार
यूपीएससी परीक्षा का रिजल्ट घोषित होने के बाद हर ओर खुशियों का माहौल है। देश के हर हिस्से से मेधावी छात्रों ने परीक्षा में उत्कृष्ट अंक प्राप्त कर देश की सबसे बड़ी परीक्षा में अपनी जगह बनाई है। वहीं बिना कोचिंग के DPRO के पद पर तैनात रहते हुए परीक्षा में 103वीं रैंक प्राप्त करने वाली दमनप्रीत अरोड़ा इस बीच चर्चा में हैं। उन्होंने IAS बनने के बाद सबसे पहले महिला इकॉनमी को सुदृढ़ करने का विचार बनाया है।
मूलतः चंडीगढ़ से हैं दमनप्रीत
दरअसल, परीक्षा में 103वीं रैंक प्राप्त करने वाली दमनप्रीत अरोड़ा बिजनौर के विकास भवन में जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) के पद पर तैनात हैं। परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने यूपी न्यूज़ से खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि वह मूल रूप से चंडीगढ़ की रहने वाली हैं और उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। सारी स्कूलिंग भी चंडीगढ़ से ही की है। घर में उनके माता-पिता और एक भाई हैं। माता गृहिणी हैं, पिता पंजाब स्टेट में अफसर के पद पर तैनात हैं, जबकि भाई प्राइवेट कंपनी में है।
जॉब के साथ भी जारी रखी तैयारी
उन्होंने बताया कि वह कॉलेज टाइम से 2017 से ही लगातार UPSC की तैयारी कर रही थीं। इसी बीच साल 2020 में उनका यूपी पीसीएस में सिलेक्शन हो गया। लेकिन नौकरी प्राप्त करने के बाद भी वह वहीं पर नहीं रुकीं। उन्होंने अनवरत अपनी तैयारी जारी रखी। वह लगातार साल 2021 से ही जॉब के साथ-साथ तैयारी में लगी रहीं, जिसके बाद कड़ी मशक्कत के फलस्वरूप उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है।
बिना कोचिंग के पास की परीक्षा
दमनप्रीत के मुकाम हासिल करने के बाद उनके कोचिंग न करने की बात हर ओर चर्चा में है। यूपी न्यूज़ से बातचीत में उन्होंने इस बात को सच बताया है। उन्होंने बताया कि जॉब में बिजनौर डीएम मैडम और सीडीओ साहब ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया है। जब भी उन्हें छुट्टी चाहिए होती थी, तब आसानी से मिल जाती थी। उनका कहना है कि उन्होंने कोई कोचिंग नहीं की है, सेल्फ-स्टडी से ही पढ़ाई की है। इस मुकाम तक पहुंची हैं। उनका सपना IAS बनने का था। तीसरी बार उन्हें सफलता मिली है।
DPRO रहते हुए आई कई मुश्किलें
दमनप्रीत ने बातचीत के दौरान DPRO के पद पर रहते हुए तैयारियों के दौरान आई मुश्किलों को भी साझा किया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा, क्योंकि DPRO एक बहुत ही चैलेंजिंग पद है, जिसमें दिन-रात काम करना पड़ता है। बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसके अनुसार ही उन्होंने अपने वर्किंग ऑवर्स सेट किए और छुट्टियों को भी पढ़ाई में ही इस्तेमाल किया। इस मामले में डिपार्टमेंट के लोगों ने भी बहुत सहयोग किया है।
कभी हार नहीं माननी चाहिए
उन्होंने बताया कि हरियाणा सिविल सर्विसेज में भी सफलता प्राप्त की थी, लेकिन वहां जॉइन नहीं किया था। उन्होंने कहा कि एग्जाम बहुत टफ है, कभी-कभी एग्जाम अच्छा होता है पर रिजल्ट अच्छा नहीं आता। हमेशा उम्मीद रखनी चाहिए, कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा दिन में पढ़ाई करती थी, सुबह जल्दी नहीं उठ पाती थी, इसलिए दिन के घंटे को अच्छे से यूटिलाइज करती थी।
सबसे पहले वूमेन इकॉनमी पर फोकस
IAS बनी दमनप्रीत सबसे पहले महिलाओं की समस्याओं को हल करना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि उनके हिसाब से वूमेन पावर और इकॉनमी बहुत ज़रूरी है। कोई भी महिला जब तक इकॉनॉमिकली पावरफुल नहीं होती, जब तक उनके पास नौकरी और पैसा नहीं होता, तब तक वह रियल पावर में नहीं होती। जिसे वह सबसे पहले सशक्त करना चाहती हैं।
माता, पिता और भाई को पूरा श्रेय
परीक्षा का परिणाम घोषित होते वक्त का अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि जब उन्हें यह खबर मिली, तब उनके मम्मी-पापा साथ थे। उन्होंने सबसे पहले मौसी और चाचा को फोन किया, क्योंकि उनके चाचा पंजाब में SDM हैं। वे अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपनी मम्मी, पापा और भाई को देना चाहती हैं, जिस तरह से उन्होंने उन्हें सपोर्ट किया है।