दिल्ली ब्लास्ट मामले में नया खुलासा: AK-47 बरामद,
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन और अंदरूनी झगड़े सामने आए
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
दिल्ली के लालकिला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर 2025 को हुए दर्दनाक कार ब्लास्ट की जांच में नए तथ्य सामने आए हैं। जांच एजेंसियों के अनुसार आरोपी मुजम्मिल ने 6.5 लाख रुपये में AK-47 खरीदी थी, जो बाद में आदिल के लॉकर से बरामद हुई। पूछताछ में मुजम्मिल और उमर से जुड़े हैंडलरों और विदेश यात्रा के बारे में भी जानकारी मिली है। NIA और अन्य जांच टीमें अब यह भी पता लगा रही हैं कि किस तरह से हथियार, रसायन और फंड एक नेटवर्क के माध्यम से जुटाए गए थे। इस मामले ने देश भर में चिंता बढ़ा दी है।
हथियार और हैंडलर का खुलासा जांच में पता चला कि AK-47 की खरीद मुजम्मिल ने 6.5 लाख रुपये में की थी और यह हथियार बाद में आदिल के लॉकर से मिला। मुजम्मिल का हैंडलर मंसूर बताया जा रहा है जबकि उमर का हैंडलर हाशिम है। दोनों इब्राहिम नामक व्यक्ति के नियंत्रण में काम कर रहे थे। इस कड़ी ने जांचकर्ताओं को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय लिंक दोनों की ओर इशारा दिया है।
विदेश यात्रा और संभावित मैपिंग रिपोर्ट्स के मुताबिक 2022 में ओकासा के निर्देश पर मुजम्मिल, आदिल और मुजफ्फर तुर्की गए थे। वहां उन्हें अफगानिस्तान भेजवाने की कोशिश हुई, लेकिन संपर्क के बाद व्यक्ति ने मना कर दिया। ओकासा का टीटीपी से संबंध होने की बात सामने आई है और संपर्क टेलीग्राम आईडी के जरिए हुआ था। इस तथ्य से वैश्विक कनेक्शन की संभावना पर और बल पड़ा है।
बम बनाने की तैयारी और अंदरूनी झगड़ा जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि उमर इंटरनेट पर बम बनाने से संबंधित वीडियो और सामग्री देखता था और विस्फोटक बनाने के लिए सामग्री स्थानीय बाजारों से जुटाई जा रही थी। मुजम्मिल और उमर के बीच यूनिवर्सिटी के अंदर पैसों को लेकर तीखा विवाद हुआ था, जिसके बाद उमर ने अपनी कार और कुछ विस्फोटक मुजम्मिल को सौंप दिए थे। उमर ने विस्फोटक रखने के लिए डीप फ्रीजर तक खरीदा और कथित तौर पर वहां रासायनिक उपकरण रखे जा रहे थे।
हमले का असर और जारी जांच 10 नवंबर 2025 के इस हमले में 13 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए। NIA इस केस की मुख्य एजेंसी बनी हुई है और उसने कई बिंदुओं पर तहकीकात तेज कर दी है—हथियार व रसायन का स्रोत, विदेशी हैंडलर्स से लिंक, फंड ट्रेल, कॉल-लॉग और चैट हिस्ट्री। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में एजेंसियां यह भी जानने की कोशिश कर रही हैं कि विस्फोटक तैयार करने की रणनीति और जिम्मेदारियां किस तरह बाँटी गयी थीं।